Soldier Sacrifice: एक पत्नी का इंतज़ार, जिसे नहीं मालूम की पति शहीद हो गया है , वीर सपूत की शहादत से गूंजा नवगछिया, रणभूमि पर लहरा गया पराक्रम का परचम

Soldier Sacrifice: जम्मू-कश्मीर की बर्फीली चोटियों पर बुधवार की सुबह तड़के गूंजे गोलियों के धमाके, और इन्हीं धमाकों के बीच रंगरा प्रखंड के चापर गांव का वीर सपूत अंकित यादव उर्फ़ धीरज यादव शहीद हो गए....

Soldier Ankit yadav Sacrifice
वीर सपूत रणभूमि पर लहरा गया पराक्रम का परचम, पत्नी को शहीद होने की नहीं दी गई सूचना- फोटो : social Media

Soldier Sacrifice: जम्मू-कश्मीर की बर्फीली चोटियों पर बुधवार की सुबह तड़के गूंजे गोलियों के धमाके, और इन्हीं धमाकों के बीच रंगरा प्रखंड के चापर गांव का वीर सपूत अंकित यादव उर्फ़ धीरज यादव अपने सीने पर गोलियां खाकर मातृभूमि की रक्षा में हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गया। सुबह पौने चार बजे आतंकियों के साथ शुरू हुई मुठभेड़ में अंकित ने अदम्य साहस और अटूट जज़्बे का परिचय दिया। गोली लगने के बाद भी वे तब तक डटे रहे जब तक साथियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो गई। लेकिन किस्मत ने अंतिम पल में साथ छोड़ दिया — देवी पोस्ट पर इलाज के दौरान सुबह 6:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

अंकित की तैनाती जम्मू-कश्मीर के टिक्का टाप पर थी, जहां मौसम की कठोरता और दुश्मनों की कायराना हरकतें रोज़ की चुनौती हैं। वह अपने माता-पिता लक्ष्मी यादव और सविता देवी के इकलौते बेटे थे। परिवार की सैन्य परंपरा गर्व से भरी है दो भाई सेना से रिटायर, एक आरपीएफ इंस्पेक्टर  और अब अंकित की शहादत ने इस परंपरा को अमर कर दिया।

गांव में जैसे ही यह ख़बर पहुंची, एक पल को समय थम गया। गलियों में सन्नाटा, आंगनों में रोते-बिलखते बुज़ुर्ग, और हर आंख में आंसुओं के साथ गर्व का मिश्रण। लेकिन सबसे कठिन क्षण है उनकी पत्नी के लिए — अभी तक उन्हें यह असहनीय सत्य नहीं बताया गया है। घर के भीतर मातम का साया है, पर उनके सामने सबकी जुबानें बंद हैं, चेहरों पर नकली सामान्यता की चादर तनी है।

अंकित का बचपन देशभक्ति की कहानियों में बीता था। बचपन के साथी बताते हैं कि वह हमेशा तिरंगे को सलामी देने का सपना देखा करते थे, और जब सेना में भर्ती हुए तो यह सपना हक़ीक़त बन गया। उनकी आंखों में केवल एक ही सपना था  मातृभूमि की सेवा।

आज उनका पार्थिव शरीर पूरे सैन्य सम्मान के साथ गांव लाया जा रहा है। जिला प्रशासन और सेना ने तैयारियां शुरू कर दी हैं, और हजारों लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ने लगे हैं। यह दृश्य केवल विदाई का नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का है  जहां हर बच्चा अंकित की तरह देश के लिए जीने और मरने का संकल्प ले।

अंकित यादव की शहादत केवल उनके परिवार की निजी त्रासदी नहीं, बल्कि नवगछिया और भागलपुर की रगों में बहते जज़्बे पर गहरी छाप छोड़ने वाली घटना है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब बात वतन की हो, तो जान की परवाह किए बिना आगे बढ़ना ही असली वीरता है। उनकी याद आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मशाल होगी  जो अंधेरों में भी राह दिखाएगी और यह बताएगी कि देशभक्ति शब्दों से नहीं, बलिदान से ज़िंदा रहती है।