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PATNA HIGHCOURT NEWS - पटना हाईकोर्ट ने दानियावा सीडीपीओ पर लगाया पांच लाख का जुर्माना, तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों से वसूली के मामले में हुई कार्रवाई

PATNA HIGHCOURT NEWS - पटना हाईकोर्ट ने दानियावा सीडीपीओ पर लगाया पांच लाख का जुर्माना, तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों से वसूली के मामले में हुई कार्रवाई

PATNA - पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि निचले सेवा स्तर, जैसे कि तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से अतिरिक्त भुगतान की वसूली करना अन्यायपूर्ण है। इससे नियोक्ता को मिलने वाले किसी भी पारस्परिक लाभ से अधिक उन पर अनुचित बोझ पड़ेगा।

जस्टिस पूर्णेंदु सिंह ने इसी तरह के मामलें में एक आदेश पारित करते हुए सीडीपीओ, दानियावा( फतुहा) पर व्यक्तिगत रूप से भुगतान किये जाने वाले पांच लाख  रुपये का आर्थिक दंड लगाया।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सेवा के निचले स्तर के कर्मचारी अपनी पूरी कमाई अपने परिवार के भरण-पोषण और कल्याण में खर्च करते हैं। यदि उनसे इस तरह का अतिरिक्त भुगतान वसूलने की अनुमति दी जाती है, तो इससे नियोक्ता को मिलने वाले पारस्परिक लाभ की तुलना में उन्हें अधिक कठिनाई होगी।

कोर्ट ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर संतुष्ट हैं कि सेवा के निचले पायदान (यानी वर्ग-III और वर्ग-IV- जिन्हें कभी-कभी समूह 'सी' और समूह 'डी' के रूप में भी जाना जाता है) से संबंधित कर्मचारियों से ऐसी वसूली किसी भी तरह की वसूली के अधीन नहीं होनी चाहिए। भले ही वे अपने देय वेतन से अधिक वेतन पाने के लाभार्थी हों। 

ऐसी वसूली अन्यायपूर्ण और मनमानी होगी। इसलिए यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित अधिदेश का भी उल्लंघन करेगी

साथ ही कोर्ट ने यह भी पाया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) द्वारा जानबूझकर वसूली की गई कार्रवाई विधिसम्मत नहीं थी। वसूली का वही क्रम उसे सुनवाई का उचित अवसर दिए बिना शुरू किया गया, जिससे वसूली का ऐसा आदेश पारित किया जा सके। 

परिस्थितियों को अनुचित पाते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता को परेशान करने और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का पालन न करने से उत्पन्न मामलों के बोझ से कोर्ट पर अतिरिक्त बोझ डाले जाने के लिए सीडीपीओ,दनियावा (फतुहा) पर व्यक्तिगत रूप से भुगतान किए जाने वाले 5 लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया। कोर्ट ने महालेखाकार (लेखा परीक्षा) द्वारा दिए गए भ्रामक बयान की भी आलोचना की, जिसमें कहा गया कि वेतन और भत्तों की वसूली लेखा परीक्षा द्वारा सुझाई नहीं गई।

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