Bihar Crime: दरभंगा में चश्मदीद होना पड़ा भारी, फायरिंग की गवाही देने पर बदमाशों ने बंदूक की नोक पर उठाया, गाछी में ले जाकर की पिटाई
Bihar Crime: फायरिंग की घटना के एक चश्मदीद को पुलिस को बयान देना महंगा पड़ गया। बदमाशों ने उसे बंदूक की नोक पर उठाकर गाछी में ले जाकर जमकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी।

Darbhanga: बिहार में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं, इसका ताज़ा उदाहरण शनिवार को दरभंगा के दिल्ली मोड़ बस स्टैंड पर देखने को मिला, जहाँ फायरिंग की घटना के एक चश्मदीद को पुलिस को बयान देना महंगा पड़ गया। बदमाशों ने उसे बंदूक की नोक पर उठाकर गाछी में ले जाकर जमकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी।
घटना की शुरुआत बस स्टैंड की बंदोबस्ती को लेकर वर्चस्व की लड़ाई से हुई। जानकारी के अनुसार, तीन दिन पहले दरभंगा नगर निगम ने दिल्ली मोड़ बस स्टैंड की नीलामी की थी। पहले सुनील यादव ने 11 लाख रुपये देकर बोली लगाई, लेकिन शेष राशि समय पर जमा नहीं करने के कारण बस स्टैंड की बंदोबस्ती 1.70 करोड़ रुपये में अमर कुमार साहू को दे दी गई। इसी फैसले से नाराज़ होकर सुनील यादव के लोगों ने शनिवार को बस स्टैंड पर 4 राउंड हवाई फायरिंग की और मौके से फरार हो गए।घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुँची और स्टैंड कर्मचारी मनीष यादव से पूछताछ की। मनीष ने पूरी घटना का खुलासा कर दिया। लेकिन यही गवाही उसके लिए आफ़त बन गई। जैसे ही पुलिस वहाँ से रवाना हुई, कुछ अज्ञात बदमाश एक गाड़ी में आए और मनीष को जबरन उठा ले गए।
पीड़ित मनीष यादव का कहना है कि पुलिस पूछताछ में हमने जो देखा-सुना था, वह बता दिया। कुछ देर बाद तीन लोग गाड़ी से आए और पूछा कि तुम 'जायसवाल' के लिए काम करते हो? मैंने हाँ कहा, तो मुझे गाड़ी में बैठाकर गाछी की ओर ले गए। वहाँ बंदूक सटाकर मारने लगे। जान बचाने के लिए मैं जैसे-तैसे भागा और पास के एक मुस्लिम परिवार के घर में छिप गया। वहीं से मैंने फोन कर अपने साथियों को बुलाया, फिर पुलिस आई और मुझे रेस्क्यू किया।
वहीं सदर थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने बताया कि इस मामले में आवेदन प्राप्त हुआ है और जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस सतर्क है और घटनास्थल पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
सवाल है कि क्या दरभंगा में अब चश्मदीद होना भी खतरे से खाली नहीं? क्या पुलिस गवाही देने वालों को पर्याप्त सुरक्षा देने में नाकाम है और सबसे अहम, क्या बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थलों पर सत्ता और बाहुबल के नाम पर गोलीबारी अब आम बात बन गई है?
रिपोर्ट- वरुण ठाकुर