Delivery at Gaya station: प्लेटफॉर्म पर गूँजी किलकारी, गयाजी जंक्शन बना ज़िंदगी की नई शुरुआत का गवाह, रेलवे सुरक्षा बल ने निभाया अपना फर्ज
Delivery at Gaya station: गयाजी जंक्शन के मिडिल फुट ओवर ब्रिज के नीचे, एक महिला रेल यात्री ने दर्द और उम्मीद के बीच एक नन्हीं किलकारी को जन्म दिया। हालात नाज़ुक थे, वक़्त कम था, मगर रेलवे सुरक्षा बल की तत्परता ने हालात को तक़दीर में बदल दिया।...
Delivery at Gaya station: गयाजी जंक्शन का प्लेटफॉर्म नंबर 2-3, जहाँ आमतौर पर रेलगाड़ियों की सीटी, यात्रियों की भागदौड़ और इंतज़ार की थकान दिखाई देती है, वहीं आज इंसानियत, हिम्मत और मोहब्बत की एक मिसाल कायम हुई। उसी प्लेटफॉर्म पर, मिडिल फुट ओवर ब्रिज के नीचे, एक महिला रेल यात्री ने दर्द और उम्मीद के बीच एक नन्हीं किलकारी को जन्म दिया। हालात नाज़ुक थे, वक़्त कम था, मगर रेलवे सुरक्षा बल की तत्परता ने हालात को तक़दीर में बदल दिया।
ऑन ड्यूटी आरक्षी धर्मेंद्र कुमार-1 की नज़र जब एक गर्भवती महिला पर पड़ी, जो प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी, उनके साथ चार छोटे बच्चे और एक बुज़ुर्ग महिला भी थीं, तो उन्होंने बिना देर किए ड्यूटी अधिकारी पवन कुमार को सूचना दी। यह महज़ सूचना नहीं थी, बल्कि एक ज़िंदगी को बचाने की पुकार थी।
सूचना मिलते ही पवन कुमार ने फौरन कार्रवाई की। मेरी सहेली टीम की महिला आरक्षी सोनिका कुमारी को बुलाया गया और स्टेशन मास्टर को मेडिकल मदद के लिए आगाह किया गया। प्लेटफॉर्म पर मौजूद हर शख़्स की धड़कनें तेज़ थीं, मगर सोनिका कुमारी की आवाज़ में हौसला था, हाथों में भरोसा था। उन्होंने 35 वर्षीय ममता देवी, पत्नी प्रवेश कुमार, निवासी ग्राम पिपरा नवदिहा, थाना बेला, जिला गया को तसल्ली दी, हिम्मत बंधाई और हर मुमकिन मदद में जुट गईं।
इसी बीच, भगवान की दया और इंसानी कोशिशों से सुरक्षित प्रसव कराया गया। कुछ ही देर बाद मंडल रेल अस्पताल गया के डॉक्टर रवि कुमार पांडे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे। जच्चा और बच्चा दोनों का प्राथमिक उपचार किया गया। एक नन्हीं बच्ची ने इस दुनिया में आँखें खोलीं। डॉक्टर ने बताया कि माँ और बच्ची दोनों खतरे से बाहर हैं।
ममता देवी की सास कारी देवी की आँखों में सुकून और शुक्रिया था। उन्होंने बताया कि वे बेला मेडिकल अस्पताल जाएँगे। बाद में प्रसूता को परिजनों की देखरेख में सुरक्षित भेज दिया गया।आज गयाजी जंक्शन सिर्फ़ एक स्टेशन नहीं रहा,यह इंसानियत, फ़र्ज़ और रहमदिली की एक ज़िंदा कहानी बन गया।
रिपोर्ट- मनोज कुमार