Bihar assembly election 2025: गयाजी में35 साल बाद बदल सकता है समीकरण, भाजपा-कांग्रेस में सीधी टक्कर, जन सुराज बना तीसरा फैक्टर

Bihar assembly election 2025: गया टाउन विधानसभा सीट पर 35 वर्षों से भाजपा का दबदबा रहा है। 2025 में प्रेम कुमार, अखौरी ओंकार नाथ और धीरेंद्र अग्रवाल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला बन गया है। जन सुराज की एंट्री से समीकरण बदल सकते हैं।

Bihar assembly election 2025
गयाजी टाउन विधानसभा में होगा बड़ा खेला!- फोटो : social media

Bihar assembly election 2025: बिहार के मगध क्षेत्र की सबसे चर्चित सीट गया टाउन विधानसभा इस बार तीन बड़े चेहरों की प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गई है। एक ओर भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम कुमार लगातार आठ बार की जीत के बाद फिर मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने अखौरी ओंकार नाथ को उम्मीदवार बनाकर पुरानी पकड़ वापस पाने की रणनीति बनाई है। वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से धीरेंद्र अग्रवाल के उतरने से मुकाबला और पेचीदा हो गया है।

गया टाउन का सामाजिक और मतदाता परिदृश्य

गया टाउन विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,79,287 मतदाता हैं, जिनमें लगभग 1.45 लाख पुरुष, 1.34 लाख महिलाएँ और तीन तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। यह इलाका बिहार के उन शहरी इलाकों में गिना जाता है जहाँ मतदाता जातीय समीकरणों से ज़्यादा विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर मतदान करते हैं। शिक्षित और व्यावसायिक वर्ग का प्रभाव यहाँ के चुनावी रुझान को विशेष रूप से प्रभावित करता है।

भाजपा का तीन दशक पुराना किला

साल 1990 में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी, और तब से अब तक 35 वर्षों से यह सीट पार्टी के कब्जे में रही है। डॉ. प्रेम कुमार इस दौरान लगातार विधानसभा पहुँचते रहे हैं। शहर के व्यापारिक समुदाय, शहरी मध्यवर्ग और ऊँची जातियों के बीच उनका मजबूत जनाधार है। भाजपा इस सीट को हमेशा से “सुरक्षित गढ़” मानती आई है, लेकिन इस बार का मुकाबला पिछली बारों से कहीं अधिक कठिन बताया जा रहा है।

कांग्रेस की वापसी की कोशिश

कांग्रेस ने लंबे अंतराल के बाद गया टाउन सीट पर जोर लगाया है। पार्टी ने अखौरी ओंकार नाथ को उम्मीदवार बनाकर स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा जताया है। कांग्रेस अपने प्रचार अभियान में महंगाई, बेरोज़गारी, और केंद्र सरकार की नीतियों से जनता की असंतुष्टि जैसे विषयों को प्रमुख बना रही है। महागठबंधन के सहयोगी दलों, विशेषकर राजद और तेजस्वी यादव, के साथ साझा सभाएँ आयोजित करने से कांग्रेस को उम्मीद है कि वह शहरी अल्पसंख्यक और परंपरागत वोट बैंक को फिर से सक्रिय कर पाएगी।

जन सुराज की नई चुनौती

गया टाउन के चुनावी परिदृश्य को सबसे अधिक दिलचस्प बनाने वाला नाम जन सुराज पार्टी का है। प्रशांत किशोर की यह नई पार्टी बिहार में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश में है, और धीरेंद्र अग्रवाल जैसे अनुभवी नेता के आने से उसे यहाँ पहचान मिली है। अग्रवाल पहले भाजपा से जुड़े रहे हैं और उनके पास मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क मौजूद है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर वे 10 से 15 प्रतिशत वोट भी जुटा लेते हैं, तो यह परिणाम की दिशा बदल सकता है।

राजनीतिक समीकरण और माहौल

गया टाउन का चुनाव इस बार सिर्फ भाजपा बनाम कांग्रेस नहीं है, बल्कि जनता की नज़र तीसरे मोर्चे पर भी है। डॉ. प्रेम कुमार जहां विकास और स्थिरता का एजेंडा लेकर सामने हैं, वहीं अखौरी ओंकार नाथ परिवर्तन और महंगाई के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। उधर, धीरेंद्र अग्रवाल खुद को “स्थानीय मुद्दों के प्रतिनिधि” के रूप में पेश कर रहे हैं।इस बार मतदाता परंपरा और प्रयोग, दोनों के बीच संतुलन साधने की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं। शहरी विकास, ट्रैफिक व्यवस्था, रोजगार और स्वच्छता जैसे मुद्दे इस चुनाव के केंद्र में हैं।

चुनाव की तारीखें और संभावनाएं

गया टाउन में मतदान दूसरे चरण में 11 नवंबर 2025 को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को निर्धारित है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा। पिछले परिणामों के आधार पर भाजपा को बढ़त जरूर मानी जा रही है, लेकिन कांग्रेस और जन सुराज की सक्रियता ने इस परंपरागत समीकरण को चुनौती दी है।