Bihar News : बिहार चुनाव में इन पांच वजहों से हुई कांग्रेस की करारी हार, पार्टी ने की कारणों की समीक्षा
GAYA : बिहार प्रदेश कॉंग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता प्रोफेसर विजय कुमार मिट्ठू ने कॉंग्रेस पार्टी की विधानसभा चुनाव में शर्मनाक पराजय की गहन समीक्षा के उपरांत कहा कि पार्टी की हार के पांच प्रमुख कारण है। पहला कारण पार्टी की आठ वर्षों से प्रदेश, जिला, पंचायत, बूथ स्तर पर कोई आधिकारिक संगठन नहीं होने के कारण राज्य के 01 लाख 16 हज़ार बूथों पर 140 वर्षों की पुरानी पार्टी का केवल 21 हज़ार बूथों पर बूथ लेवल एजेंट होना पार्टी संगठन के सबसे कमजोर कड़ी को दर्शाता है।
दूसरा चुनाव आयोग के मशीनी तथा मानवीय भूलों के कारण हुई 02 से 05 प्रतिशत गलतियों को मुद्दा बनाकर एस आई आर तथा इ भी एम में गडबडी की बातें सम्पूर्ण बिहार में कहीं आंदोलन का मुद्दा नहीं बना, क्योंकि बिहार में 65 लाख मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से कटने के बाद भी 65 मतदाता सड़क पर आंदोलन के लिए नहीं उतरें। तीसरा और सबसे अहम वोट खरीद और चोरी का मुद्दा यह रहा कि चुनाव आयोग सभी नियम- कानून को ताक पर रख चुनाव के दिन तक मतदाताओं के बैंक खातों में पैसा भेजने, चुनाव के दिन तक एन डी ए गठबंधन के प्रचार् पर कोई अंकुश नहीं लगाने, बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में 60- 65 हज़ार महिलाओं के खाते में 10- 10 हज़ार भेजने तथा इसे नहीं लौटाने का संदेश एवं 02 लाख और देने की बातें के साथ-साथ नीतीश सरकार अपने 19 वर्षों के कार्यकाल की सभी मांगों को जिसने कॉंग्रेस पार्टी के घर- घर अधिकार को चुनाव के एक माह पहले पूरा करना ही वोट खरीदना और वोट चोरी सिद्ध होता है।
चौथा कारण कॉंग्रेस पार्टी शुरू से ही लॉबी विहीन यानी सच्चे कॉंग्रेसी को कभी तरजीह देने का काम न तो संगठन में दिया ना ही टिकट क्योंकि पार्टी में जो कॉंग्रेस और हाथ छाप को केवल जीवन भर देखने वाले को कभी कुछ नहीं मिला । पार्टी में जब भी संगठन में पद देने तथा टिकट देने की बातें होती है,तो राष्ट्रीय, प्रांतीय स्तर के नेताओं से ही नामे मांगे जाते हैं। इस बार के चुनाव में पार्टी एक वर्षों से सैकड़ों करोड़ खर्च कर वार रूम स्थापित कर सभी जिलों तथा पार्टी द्वारा लड़ने वाले सम्भावित सीटों पर पेड स्टाफ भेज कर काम करने के लिए भेजी, जो पार्टी की मजबूती की जगह सम्भावित उम्मीदवारों से पैसा ठगने का काम किए, कमों बेस देश और राज्य के बड़े और प्रभावी नेता इस माहौल को ठीक करने के बजाये और धार देने का काम किया। पार्टी ने 2025 को संगठन मजबूती वर्ष घोषित करने और 2025 में ही बिहार चुनाव होने के कारण इस चुनाव में कॉंग्रेस पार्टी के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडगे, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सहित सम्पूर्ण देश से सैकड़ों बडे नेताओं का मेहनत कहीं काम नहीं आया। काँग्रेस पार्टी की सभी आंदोलनों, बड़ी- बडी सभाएं केवल भीड़ बन कर रह गई। वह समुह में कभी परिनत नही होता। सबसे नुकशान सिद्ध हुआ।
पांचवां कारण समान विचार धाराओं वाले दालों के वोटों का बिखराव जैसे ओवैसी की पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनसुराज पार्टी, के कारण इंडिया गठबंधन की 50 सीटों पर हार हुई, तो दुसरी और इंडिया गठबंधन में अंतिम समय तक सीटों के लिए झंझट तथा 11 सीटों पर दोस्ताना लड़ाई से 11 सीटों का सीधा नुकसान आदि ही चुनाव में हार का प्रमुख कारण है। नहीं तो इस सुनामी में भी इंडिया गठबंधन 100 सीट जरूर जीतती, तथा सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाती।
अगर हम 2020 के विधानसभा चुनाव से 2025 का तुलना करते हैं, तो उस समय बिहारवासी को कोरोना का पीड़ा था, तथा एन डी ए गठबंधन में फूट यानी चिराग की पार्टी अलग चुनाव लडी थी। परन्तु इस चुनाव से पहले महाकुम्भ तथा पहले चरण के मतदान के एक दिन पूर्व कार्तिक स्नान सहित सभी प्रमुख पर्व - त्योहार, छठ पूजा हेतु 15000 ट्रेन को चुनाव तक चालू रखना आदि से भी इस चुनाव में मतदाता प्रभावित हुए।