Bihar News : महागठबंधन के लिए अभेद्य किला बना गयाजी विधानसभा क्षेत्र, 35 सालों से जारी है ‘प्रेम’ का जलवा, जानिए क्यों तिलिस्म नहीं तोड़ पा रहे राजद और कांग्रेस

Bihar News : महागठबंधन के लिए अभेद्य किला बना गयाजी विधानसभा

GAYAJI : गयाजी को ज्ञान और मोक्ष की भूमि कहा जाता है। जहाँ पितृपक्ष के दौरान लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। यहीं नहीं कई देशों से बौद्ध धर्म के अनुयायी भी गया आकर भगवान बुद्ध की स्मृतियों को देखते हैं। इस तरह इस इलाके का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। लेकिन अब कुछ दिन बाद ही बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजनेवाली है। ऐसे में इस क्षेत्र की सियासत पर नजर डाले तो वह भी आपको हैरान कर देगा। 

गया टाउन विधानसभा सीट पर 1951 में अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कई राजनीतिक समीकरण बदलते रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की है, जबकि जनसंघ को दो और निर्दलीय उम्मीदवार को एक बार जीत मिली। हालांकि, 1985 के बाद कांग्रेस इस सीट पर कभी कब्जा नहीं जमा पाई। 1990 के विधानसभा चुनाव में मंडल लहर के बीच कांग्रेस का गढ़ ढह गया और बीजेपी के डॉ. प्रेम कुमार ने यहां पहली बार जीत हासिल की। तब से अब तक उन्होंने इस सीट पर अपना वर्चस्व कायम रखा है। सबसे कड़ी टक्कर उन्हें वर्ष 2000 में मिली थी, जब सीपीआई के उम्मीदवार मसउद मंजर ने कड़ा मुकाबला दिया। उस चुनाव में जीत और हार का अंतर महज 3,959 वोट का रहा। डॉ. प्रेम कुमार को 37,264 और मसउद मंजर को 33,205 वोट मिले थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव को सबसे ज्यादा 55,034 वोट मिले, लेकिन वे डॉ. प्रेम कुमार से 11,898 वोटों से पीछे रह गए।

ब्राह्मण और कायस्थ मतदाता – शहर क्षेत्र होने के कारण उच्च जातियों की संख्या यहाँ अच्छी-खासी है। खासकर कायस्थ मतदाता भाजपा के परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं। डॉ. प्रेम कुमार को लंबे समय से इस वर्ग का भरपूर समर्थन मिलता रहा है। मुस्लिम समुदाय भी इस क्षेत्र में प्रभावशाली है और यह वर्ग परंपरागत रूप से कांग्रेस व वामपंथी दलों के साथ रहा है। मुस्लिम वोटर्स की संख्या 50 हज़ार के करीब है। 2020 में भी कांग्रेस प्रत्याशी को मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा मिला था। यादव वोट आरजेडी का कोर वोट बैंक माना जाता है। हालांकि शहरी सीट होने के कारण इनकी संख्या गाँव की तुलना में कम है, लेकिन चुनावी परिणाम प्रभावित करने की स्थिति में जरूर रहते हैं। गया टाउन क्षेत्र में दलित और महादलित मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। यह वर्ग समय-समय पर अलग-अलग पार्टियों के साथ जाता रहा है, हालांकि भाजपा और महागठबंधन दोनों ही इन्हें साधने की कोशिश करते हैं। नई बसावट के कारण भूमिहार 25 हजार, राजपूत 15 हजार, अतिपिछड़ा करीब 30 हजार, कोयरी-कुर्मी आदि के 25 हजार वोटर हैं।

कुल मिलाकर, गया टाउन में भाजपा का आधार सवर्ण और शहरी मध्यम वर्ग रहा है, जबकि कांग्रेस और महागठबंधन को मुस्लिम, यादव और दलित वोटों पर उम्मीद रहती है। यही समीकरण तय करता है कि इस सीट पर तिलिस्म कायम रहेगा या टूटेगा। अबकी बार महागठबंधन के सामने चुनौती है कि वह इस सीट पर तीन दशकों से कायम भाजपा के तिलिस्म को तोड़ सके।