GAYA : गया के ढुंंगेश्वरी में जीविका की दीदीयां हरी सब्जियों और फूलों के मिश्रण से हर्बल गुलाल बना रही है. यह गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक होता है. इसमें किसी प्रकार का केमिकल यूूज नहीं किया जाता है. इस गुलाल की काफी डिमांड देश में है, तो विदेश तक भी है. जीविका की महिलाओं की मानें, तो यहां बनने वाले इस सुगंधित प्राकृतिक गुलाल की डिमांड बिहार, झारखंड दिल्ली महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से आती है, जिसे वे महिलाएं निर्माण कर सप्लाई करती हैं. वहीं, इस गुलाल को विदेशों में भी भेजा जाता है. विदेश में भारतीय मूल के रहे लोगों के बीच इसकी अच्छी खासी मांग है और अमेरिकी एंबेसी के माध्यम से यह वहां तक पहुंचाया जाता है.
पालक, सीम, परास और गेंदा फूल से तैयार हो रहा गुलाल
ढुंगेश्वरी में जीविका की मुन्नी देवी, राधा देवी समेत कई महिलाएं प्राकृतिक गुलाल बनाने में जुटी हुई है. यह हर्बल गुलाल इनके द्वारा वर्ष 2021 से तैयार किया जा रहा है. प्रतिदिन हजारों पैकेट प्राकृतिक गुलाल बनाए जा रहे हैं. पिछले एक महीने से ही गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है. इसकी बिक्री अंतर्राष्ट्रीय स्थली बोधगया के अलावे बौद्धों का प्रसिद्ध स्थल ढुंंगेश्वरी और गया के मार्केट में इन महिलाओं के द्वारा खुद की जाती है. ढुंगेश्वरी एक प्रसिद्ध स्थल है. ऐसे में यहां काफी संख्या में विदेशी पहुंचते हैं और इस प्राकृतिक गुलाल को वह काफी पसंद करते हैं. अपने देशों में रहने वाले भारतीयों के होली पर्व के लिए इस गुलाल को ले जाना नहीं भूलते नो केमिकल.. स्कीन सुरक्षित, यह है खासियत हरी सब्जियां पालक का साग, सीम, परास, गेंदा के फूलों से बनने वाले इस प्राकृतिक गुलाल में कोई केमिकल का मिश्रण नहीं होता है. ऐसे में इस अबीर गुलाल को जितना भी लगाया जाए, उसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. स्किन पूरी तरह से सुरक्षित रहती है. यही वजह है, कि आज जहां बाजारों में बड़े तादाद में केमिकल युक्त गुलाल उपलब्ध हैं, तो इसके बीच इस हर्बल गुलाल मार्केट में छाया हुआ है. ढुंंगेश्वरी की महिलाएं अरण्यक नाम की पैकिंग में इस गुलाल को रोजाना भरती है. पिछले महीने भर से महिलाएं दिन-रात एक कर इस गुलाल को बना रही है. क्योंकि इसकी डिमांड काफी अच्छी है और इसे बनाने वाले लोग कम हैं होली नजदीक आते ही हर्बल गुलाल बनाने में जुटी महिलाओं के चेहरे पर खुशी है. क्योंकि उन्हें एक बड़ा मार्केट-बड़ा रोजगार मिलता है. कम पैसों में ही हर्बल गुलाल तैयार हो जाता है, लेकिन इसके दाम बाजार में सामान्य तौर पर बिकने वाले गुलाल से कहीं ज्यादा अधिक होते हैं, क्योंकि इस गुलाल की डिमांड बहुत ज्यादा रहती है. मार्केटिंग अच्छी होने के कारण दाम भी मिल जाते हैं. वही, लोग अपने स्वास्थ्य की चिंता करते हुए इस प्राकृतिक गुलाल को ही खरीदना पसंद करते हैं. इस प्राकृतिक गुलाल को बनाने में जुटी ढुंंगेश्वरी की मुन्नी देवी बताती है, कि वह जीविका से जुड़ी हुई है. इसके साथ ही वह प्रेरणा संस्था से जुड़ी हुई है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए वह पालक के साग, सीम, गेंदा, परास के फूलों का उपयोग करती है. सबसे पहले वह हरी सब्जियों या फूलों को उबाल लेती है. खौला कर उससे रंग निकाल लिया जाता है. इसके बाद खाने में उपयोग होने वाले अरारोट में मिश्रण कर दिया जाता है. अरारोट मिश्रण करने में काफी मेहनत लगती है. मिश्रण के बाद उसे सूखने के लिए छोड़ दिया जाता ह. यह जब सूख जाता है, तो उसे पलवलाइजर मशीन में डाल देते हैं और इस तरह से पूरी तरह से प्राकृतिक गुलाल तैयार हो जाता है ऐसे पहुंचता है विदेशों तक ढुंंगेश्वरी में काफी तादाद में विदेशियों का आना आता है. विभिन्न देशों से यहां पर्यटक आते हैं. विदेशी पर्यटकों को यहां के मार्केट में यह प्राकृतिक हर्बल गुलाल मिल जाता है, जिसे वह भारतीय मूल के लोगों के लिए ले जाना नहीं भूलते. क्योंकि भारतीय मूल के लोग तकरीबन हर देशों में निवास करते है. वर्ष 2021 से जीविका की महिलाएं इस प्राकृतिक गुलाल को बना रही है, तो विदेशियों को इसके बारे में जानकारी रहती है और बोधगया गया पहुंचने वाले विदेशियों के माध्यम से भी यह गुलाल अलग-अलग देश में जाता है. यह भारतीय गुलाल सबसे अधिक अमेरिका में जाता है. मुन्नी देवी बताती है, कि यहां का गुलाल अमेरिका देश के अलावा अन्य देशों तक जाता है. वहीं, देश की बात करें तो मुंबई दिल्ली समेत कई राज्यों में इसकी सप्लाई होती है. वही, विदेश में खासकर अमेरिका ज्यादा भेजा जाता है, क्योंकि वहां से डिमांड आती रहती है. यह बताती है, कि पिछले साल भी यह हर्बल गुलाल दिल्ली स्थित अमेरिकी एंबेसी के माध्यम से अमेरिका तक गया था. वहां रहने वाले भारतीयों की यह पहली पसंद है. बताती है, कि क्लाइमेट चेंज व वन पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत और अमेरिकी सरकार वन बचाने की योजना पर काम कर रही है. ऐसे में जंगली क्षेत्र से जुड़े लोगों को रोजगार पूरक ट्रेनिंग दी गई है, जिसमें प्राकृतिक गुलाल बनाना भी शामिल है. भारत और अमेरिका सरकार के करार को साकार बनाने के लिए वन विभाग की सहयोगी संस्था प्रेरणा काम करती है. प्रेरणा का कैटेरिया ढुंंगेश्वरी में है. इसके माध्यम से यहां का गुलाल अमेरिकी एंबेसी तक पहुंचता है और वहां से भारतीय मूल के विदेशियों तक. अमेरिका के अलावे अन्य देशों में भी इसे सप्लाई की योजना रहती है. मुन्नी देवी बताते हैं, कि ढुंगेश्वरी का प्राकृतिक गुलाल देश के अलावे अलग-अलग देश में भी अपनी महक बिखेर रहा है. लाल, पीला, हरा..ऐसे होते हैं गुलाल के रंग गुलाल के रंग अलग-अलग ऐसे बनाए हैं. पालक और सीम से हरे रंग के प्राकृतिक गुलाल बनते हैं. वही, गेंदा के फूल से पीले तो परास के फूल से लाल गुलाबी गुलाल तैयार हो रहे हैं. पूरी तरह से प्राकृतिक गुलाल की डिमांड को देखकर ढुंगेश्वरी की महिलाएं ज्यादा से ज्यादा संख्या में इसकी रोजाना पैकेजिंग कर रही है. 50 ग्राम का गुलाल जहां 20 रुपए के छोटे-छोटे पैकिंग में आराम से उपलब्ध है. वहीं, आरण्यक रैपर में पैकेजिंग होने वाले गुलाल 100 ग्राम 50 रुपए में मिल जाते हैं. यह पैकिंग वाले ही गुलाल विदेश तक जाते हैं. वहीं, स्थानीय मार्केट में छोटे-छोटे पैकिंग में रहे 20 के 50 ग्राम वाले गुलाल बेचे जाते हैं जीविका दीदियां बना रही प्रकृति गुलाल हरी सब्जियों और फूलों से बन रहा प्राकृतिक गुलाल पालक का साग, सीम, गेंदा का फूल, परास का फूल से निर्मित होता है यह प्राकृतिक गुलाल पालक सीम से हरे कलर का बनता है गेंदा से पीला तो परास के फूलों से लाल गुलाबी रंग का गुलाल होता है तैयार पालक, सीम, परास और गेंदा को खौला कर सबसे पहले रंग निकलते हैं इसमें सिर्फ खाने में उपयोग होने वाले अरारोट का होता है मिश्रण के बाद सुखाया जाता है इसके बाद हाथों से या फिर पलवलाइजर मशीन से पीसा जाता है इसे और सुगंधित बनाने के लिए ब्रांडेड पाउडर का भी उपयोग होता है यह केमिकल युक्त नहीं होता है इससे त्वचा को नुकसान नहीं होता है हर्बल गुलाल 2021 से जीविका की ढुंंगेश्वरी की महिलाएं बना रही है प्रेरणा संस्था की ट्रेनिंग के बाद प्राकृतिक गुलाल का मार्केट बना ढुंंगेश्वरी.
केमिकल युक्त गुलाल पहुंचा सकते हैं बड़ा नुकसान
होली जैसे पर्व में केमिकल युक्त रंग गुलाल मार्केट में छाए रहते हैं. केमिकल युक्त रंग गुलाल के उपयोग से शरीर को बड़ा नुकसान हो सकता है. खासकर आंख और स्कीन के लिए. इस तरह बड़े विकल्प के रूप में हर्बल गुलाल है, जो लोगों को सेफ रखता है होली के माहौल को और भी सुगंधित बना देता है प्राकृतिक गुलाल सबसे बेस्ट इस समय में मगध विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार सिंह बताते हैं, कि प्राकृतिक गुलाल सबसे बेस्ट होता है. इस गुलाल के उपयोग से लोगों की बॉडी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता. त्वचा पूरी तरह से सुरक्षित रहती है. आंख को भी नुकसान नहीं होता है. वही, उपयोग करने वाले साइड इफेक्ट से भी बचते हैं. ऐसे में केमिकल युक्त रंग गुलाल के बजाय प्राकृतिक रंगुलाल अपनाएं और होली को खुशी-खुशी मनाएं.
होली में मिलता है बड़ा रोजगार
होली में बड़ा रोजगार मिलता है. प्राकृतिक गुलाल देश ही नहीं विदेशों तक जाता है. वर्ष 2021 से प्राकृतिक गुलाल हम लोग बना रहे हैं. इस सीजन में हमें फुर्सत नहीं मिलती. अच्छी खासी कमाई हो जाती है. वही, खुशी होती है कि लोगों के बीच बिना केमिकल का गुलाल जाता है. इस हर्बल गुलाल से त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता काफी सुगंधित होता है. पूरी तरह से यह प्राकृतिक रूप से तैयार होता है मुन्नी देवी, जीविका और प्रेरणा संस्था से जुड़ी महिला हम लोग पिछले महीने से इस गुलाल को बना रहे हैं. इस गुलाल की मांग ज्यादा होती है. हम लोग पालक, सीम गेंदा का फूल परास के फूल से इसे बनातेहैं.प्राकृतिक होने के कारण इसकी डिमांड काफी है. हम लोगों को बड़ा रोजगार होली के समय में मिलता है. 2021 से हम लोग इसे बना रहे हैं. यह देश और विदेश तक जाता है राधा देवी, जीविका की महिला.
गया से मनोज की रिपोर्ट