Bihar News:मौत दरवाजे पर खड़ी है, पर उषा अब भी जीवन बचा रही हैं, कैंसर के चौथे स्टेज में भी नर्स की ड्यूटी पर डटी महिला बनी हौसले की मिसाल
Bihar News:जब एक इंसान जानता है कि उसकी ज़िंदगी गिनती के दिनों की मेहमान है, तब वो या तो हार मानकर बैठ जाता है... या फिर उषा सुमन बन जाता है। ...

Bihar News: जब एक इंसान जानता है कि उसकी ज़िंदगी गिनती के दिनों की मेहमान है, तब वो या तो हार मानकर बैठ जाता है... या फिर उषा सुमन बन जाता है। 40 वर्षीय नर्स उषा सुमन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के चौथे स्टेज से जूझ रही हैं, लेकिन उसके बावजूद उन्होंने न तो अपनी ड्यूटी छोड़ी, न ही अपने सेवा धर्म से पीछे हटीं।
गया जी के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ब्लड बैंक में कार्यरत उषा पिछले 15 वर्षों से इस पेशे में हैं, लेकिन आज जो वो कर रही हैं, वो सिर्फ एक नौकरी नहीं — यह इंसानियत की सबसे ऊंची परिभाषा है।
2020 की एक रात उनकी ज़िंदगी की दिशा बदल गई। कोरोना काल में जब अस्पताल के एक डॉक्टर मरीज के परिजनों की भीड़ में बेहोश हो गए, तब उषा ने उन्हें सहारा दिया। बाद में वह डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव निकले। उसी घटना के कुछ समय बाद उषा की तबीयत बिगड़ने लगी —और फिर दिल्ली में हुए टेस्ट में सामने आया कि उन्हें चौथे स्टेज का कैंसर है।
डॉक्टरों ने कह दिया था कि "कुछ ही हफ्ते हैं आपके पास।” लेकिन उषा ने समय की इस भविष्यवाणी को ठुकरा दिया। उन्होंने मौत से पहले अपनी सेवा को प्राथमिकता दी। परिवार वाले चिंतित रहते हैं, अस्पताल प्रबंधन बार-बार उन्हें आराम करने की सलाह देता है, लेकिन उषा मुस्कराकर कहती हैं कि“ये काम मेरी पहचान है, मेरा संकल्प है। जब तक सांस है, सेवा करती रहूंगी।”
उषा सुमन हर दिन अस्पताल पहुंचती हैं। चेहरा शांत, चाल स्थिर, आंखों में पीड़ा छुपी लेकिन मुस्कान कभी कम नहीं होती। कई सहकर्मी तो ये तक नहीं जानते कि वो गंभीर रूप से बीमार हैं।
आज जब समाज में लोग छोटी-छोटी बातों पर ज़िम्मेदारियों से भाग जाते हैं, उषा सुमन अपने जज्बे से बता रही हैं कि कर्तव्य क्या होता है।उनकी कहानी सिर्फ प्रेरणा नहीं है यह उस 'शक्ति' की झलक है, जो सेवा को पूजा मानती है और मृत्यु से पहले भी जीवन को बचाने में लगी रहती है।उषा सुमन नहीं सिर्फ एक नर्स हैं.. वो उम्मीद हैं, साहस हैं, और ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत मिसाल हैं।