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Bihar Teacher News: नियोजित शिक्षक को राज्यकर्मी बनने में होगी देरी, नियुक्ति पत्र बांटने में पिछड़े ये 7 जिले, जिसको जितना लेट मिलेगा...उसके साथ हो जाएगा खेला

Bihar Teacher News: नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनने में जितनी देरी होगी उनके लिए उतना ही नुकसान होगा। सक्षमता परीक्षा पास शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा जा रहा है लेकिन प्रदेश के 7 जिले नियुक्ति पत्र देने में पिछड़ गए हैं।

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contractual teachers appointment letters- फोटो : प्रतिकात्मक

Bihar Teacher News: बिहार में सक्षमता परीक्षा की आड़ में नियोजित शिक्षकों के साथ बड़ा खेला हो रहा है। राज्य के करीब 4 लाख शिक्षक नियोजित शिक्षक बनने वाले हैं। नियोजित शिक्षक बनने के लिए शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास करनी है। सरकार 5 चरणों में सक्षमता परीक्षा का आयोजन कराएगी। जिसमें दो चरण के सक्षमता परीक्षा का आयोजन हो चुका है। पहले सक्षमता परीक्षा में 1.87 लाख शिक्षक पास हुए थे। जबकि, दूसरे चरण में 65716 अभ्यर्थी पास हुए हैं। और तीन चरणों की परीक्षा होनी है। वहीं सक्षमता परीक्षा के पहले चरण में पास 1.87 लाख शिक्षकों की काउंसिलिंग 1 अगस्त से 15 सितंबर तक चली। 1.40 लाख शिक्षकों की काउंसिलिंग पूरी हो गई है तो 47,000 शिक्षकों की काउंसिलिंग अभी भी बाकी है।

नियोजित शिक्षकों के साथ हो रहा खेला 

सक्षमता परीक्षा पास होने के बाद सरकार इन नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देगी। नियोजित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दी जाएगी। लेकिन इन शिक्षकों को जितनी देरी से नियुक्ति  पत्र मिलेगी उन्हें उतना ही नकुसान होगा। आसान शब्दों में कहे तो नियोजित शिक्षक पिछले 18 सालों से सरकार को सेवा दे रहे हैं। शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा पाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। जिसके बाद शिक्षा विभाग ने निर्णय लिया कि समक्षता परीक्षा के बाद ही वो नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देगी। नियोजित शिक्षकों ने दो चरणों के सक्षमता परीक्षा को दे भी दिया है। लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र मिलने में देरी हो रही है। 

नियुक्ति पत्र मिलने के अगले दिन ही हुई रिटायर्ड

बीते दिन ही एक खबर सामने आई थी जहां एक शिक्षिका को समक्षता परीक्षा पास करने के बाद ज्वाइनिंग लेटर मिली लेकिन दूसरे दिन ही वो रिटायर्ड हो गई। मामला जमुई का था। जमुई की शिक्षिका अनिता कुमारी ज्वाइनिंग लेटर मिलने के ठीक एक दिन बाद और विद्यालय में योगदान देने से एक दिन पहले ही वह सेवानिवृत्त हो गईं। इस स्थिति के कारण उन्हें विशिष्ट शिक्षक बनने का कोई लाभ नहीं मिल सका। दरअसल, इस मामले में अनीता कुमारी ने बताया कि उन्होंने 60 साल की आयु पूरी करने के बाद 31 दिसंबर 2024 को सेवानिवृत्ति पाई। दुख की बात यह रही कि 2024 में सक्षमता वन की परीक्षा पास करने के बावजूद वह एक भी दिन विशिष्ट शिक्षक के रूप में कार्य नहीं कर पाईं। उनका परीक्षा परिणाम कई महीने पहले ही प्रकाशित हो चुका था, लेकिन विभागीय प्रक्रिया में देरी से उनकी यह उपलब्धि व्यर्थ चली गई। ठीक इसी प्रकार प्रदेश के कई शिक्षक विभागीय देरी के कारण या किसी अन्य कारण सक्षमता परीक्षा पास कर राज्यकर्मी बनने के बाद भी कोई लाभ नहीं ले सकेंगे। 

ये जिले नियुक्ति पत्र देने में पिछड़े

राज्य के कई जिलों में नियुक्ति पत्र बांटने में देरी हो रही है। नियुक्ति पत्र देने में जितनी देरी होगी नियोजित शिक्षकों के साथ उतना ही गलत होगा। 18 साल सेवा देने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। बता दें कि, तिरहुत स्नातक निर्वाचन चुनाव की वजह से 7 जिलों- गया, कैमूर, भोजपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर में नियुक्ति पत्र के वितरण में देरी हुई। इन जिलों में दिसंबर से डीईओ द्वारा नियुक्ति पत्र का वितरण शुरू हुआ। यहां 13 हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। इसमें से सिर्फ 5 हजार को ही नियुक्ति पत्र मिला है। इसके साथ ही पटना, भोजपुर, अरवल, सारण, मधेपुरा, सुपौल, बेगूसराय सहित 22 जिलों में भी प्रमाण प्रत्र बंटने में देर हो रही है। इन जिलों में 8 हजार शिक्षकों का प्रमाण पत्र अपडेट नहीं हुआ है। जिसकी वजह से इन्हें नियुक्ति पत्र फरवरी में मिलने की संभावना है।

देर से बनेंगे राज्यकर्मी

मालूम हो कि शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिलते ही राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। जिन कर्मियों को नियुक्ति पत्र देरी से मिल रहा है, वह देर से ही स्कूलों में अपना योगदान देंगे। जिससे वह देर से राज्यकर्मी बनेंगे। राज्य के कई शिक्षक राज्यकर्मी बनने के बाद भी उसका लाभ नहीं उठा पाएंगे।  राज्यकर्मी का दर्जा पाने वाले 12 हजार शिक्षक 2 वर्ष में रिटायर हो जाएंगे। करीब 100 शिक्षक तो ऐसे हैं जिनका कार्यकाल जुलाई 2025 में खत्म होने वाला है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यकर्मी बनने के बाद भी ऐसे शिक्षक कई वेतन बढ़ने के सहित कई सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे। इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि शिक्षकों के पहले के अनुभव को नए सिरे से शुरू माना जा रहा है। इसका मतलब है कि उन शिक्षकों को, जो जल्द ही रिटायर होने वाले हैं, प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पाएगा क्योंकि प्रमोशन के लिए न्यूनतम 3 साल का अनुभव होना जरूरी है। ऐसे में  माना जा रहा है कि राज्य के करीब 12 हजार शिक्षक बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो जाएंगे। जिन शिक्षकों का रिटायरमेंट जल्द है, उन्हें राज्यकर्मी के रूप में मिलने वाले सभी लाभों का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। 

राज्यकर्मी बनने के बाद क्या होगा फायदा 

राज्यकर्मी बनने के बाद शिक्षकों को महंगाई भत्ता, मकान, किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता, शहरी परिवहन भत्ता भी मिलेगा। समय-समय पर बेतन, भत्तों में संशोधन का लाभ मिलेगा। हर वर्ष बोनस, एरियर भी मिलेगा। इसके साथ ही 8 वर्ष की अवधि के बाद शिक्षकों की प्रोत्रति भी हो सकती है। डीईओ शिक्षकों को स्थानांतरित कर सकते हैं। पहले प्राथमिक शिक्षकों कक्षा को 25000 रुपए मूल वेतन मिलता था। मकान किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता, और शहरी परिवहन भत्ता भी मिलता था। जो लगभग 32 हजार के आसपास होता था। अब राज्यकर्मी बनते ही 1 से 5वीं क्लास तक के प्राथमिक शिक्षकों का मूल वेतन तो 25 हजार रुपए ही रहेगा। लेकिन नियोजित शिक्षकों को सकल वेतन के रूप में 44130 रुपए मिलेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि 42% डीए मिलेगा जो 10,500 रुपए होगा। 816 आवासीय भत्ता मिलेगा, जो मूल वेतन का 2 हजार रुपए होगा। सीटीए के रूप में 2130 रुपए मिलेंगे। मेडिकल मद में 1000 हजार रुपए मिलेगा। पेंशन फंड में 3500 रुपए जाएंगे।

कम समय तक राज्यकर्मी रहे शिक्षकों को होगा नुकसान 

जिन शिक्षकों का कार्यकाल कम हैं उन्हें राज्यकर्मी बनने के बाद भी नुकासन होगा क्योंकि पेंशन में कटौती कम और रिटायरमेंट के बाद कम पैसा मिलेगा। इन शिक्षकों की पदोन्नति भी नहीं हो सकेगी क्यों इसके लिए 8 वर्ष का सेवा होना जरुरी है। इनका वेतन भी एक बार ही बढ़ेगा। ऐसे शिक्षकों का कहना है कि उन्हें राजकर्मी बनने की खुशी तो है लेकिन इस बात का अफसोस भी है कि उनकी रिटायरमेंट जल्द हो जाएगी।  

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