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अटल बिहारी वाजपेयी: बक्सर से गहरा जुड़ाव और लिट्टी-चोखा प्रेम

अटल बिहारी वाजपेयी का बक्सर से लगाव उनकी सादगी और लोगों से जुड़ने की अनोखी क्षमता को दर्शाता है। बक्सर के लिट्टी-चोखा और पापड़ी के प्रति उनका प्रेम सिर्फ उनकी स्वाद संबंधी पसंद तक सीमित नहीं था।

अटल बिहारी वाजपेयी: बक्सर से गहरा जुड़ाव और लिट्टी-चोखा प्रेम
बकसर के लिट्टी-चोखा से वाजपेयी जी का प्रेम- फोटो : social media

Atal Bihari Vajpayee: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बिहार, विशेष रूप से बक्सर से एक अनोखा और गहरा संबंध था। उनकी सादगी और लोगों से जुड़ने की क्षमता ने बक्सर के हर नागरिक के दिल में एक खास जगह बनाई। अटल जी जहां भी जाते, वहां के खानपान और संस्कृति का हिस्सा बन जाते।

लिट्टी-चोखा और पापड़ी: बक्सर का स्वाद और अटल जी का प्रेम

बक्सर का लिट्टी-चोखा और पापड़ी अटल जी के पसंदीदा व्यंजनों में शामिल थे।1968 की घटना में, स्थानीय निवासी विनोद उपाध्याय ने बताया कि जब अटल जी ट्रेन से बक्सर से गुजर रहे थे, तब उनके पिता ने उन्हें दूध और खाने का सामान भेंट किया। 1974 में, अटल जी विनोद उपाध्याय के घर आए और वहां लिट्टी-चोखा और पापड़ी का भरपूर आनंद लिया।

खाने का विशेष ध्यान

1984 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के समय, अटल जी ने बक्सर में कार्यकर्ताओं से कहा कि जब भी मिलें, लिट्टी-चोखा जरूर लाएं। बक्सर के कोइलवर तटबंध की समस्या को लेकर वहां के विधायक स्वामीनाथ तिवारी ने पत्र लिखकर अटल जी का ध्यान आकृष्ट किया। अटल जी ने इसे गंभीरता से लिया और समाधान का आश्वासन दिया, जिसे बाद में पूरा भी किया गया।

महत्वपूर्ण यात्राएं

1973 में, वे सिमरी कॉलेज और स्थानीय नेता शारदा प्रसाद मोदवाल के आवास पर आए।1988-89 में, ऐतिहासिक किला मैदान में जनसभा को संबोधित किया और अपने खास अंदाज में भाषण दिया।स्वामी सहजानंद सरस्वती की मूर्ति के अनावरण के दौरान भी वे बक्सर आए।

दिल्ली से बक्सर का स्वाद

दिल्ली में भी अटल जी का बक्सर से संबंध बना रहा।अटल जी दिल्ली से बक्सर की पापड़ी मंगवाते और बड़े चाव से खाते थे।

पूर्व सांसद लाल मुनि चौबे के बेटे शिशिर चौबे ने बताया कि अटल जी ने मुरली मनोहर जोशी और चंद्रशेखर के साथ लिट्टी-चोखा का आनंद लिया।

अटल जी की याद में बक्सर की भावनाएं

अटल जी के निधन पर बक्सर ने गहरा शोक व्यक्त किया। मंटु सिंह, जो अटल जी को अपना मानस पुत्र मानते थे, ने उनके लिए श्राद्धकर्म किया। बक्सर के लोग आज भी उनके साथ जुड़ी यादों को गर्व के साथ साझा करते हैं।

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