बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार में सरकारी शिक्षकों के कोचिंग और ट्यूशन पर प्रतिबंध, एस सिद्धार्थ का बड़ा फैसला

बिहार सरकार ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर कोचिंग और ट्यूशन पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है ताकि सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हो सके।

बिहार में सरकारी शिक्षकों के कोचिंग और ट्यूशन पर प्रतिबंध, एस सिद्धार्थ का बड़ा फैसला
बिहार के शिक्षकों पर कसेगी नकेल- फोटो : freepik

bihar education department: बिहार सरकार ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर कोचिंग और ट्यूशन पढ़ाने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है ताकि सरकारी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार हो सके। राज्य सरकार का मानना है कि शिक्षक जब निजी कोचिंग देते हैं, तो इसका सीधा असर उनके सरकारी स्कूल में पढ़ाने पर पड़ता है।

कोचिंग पर बैन क्यों शिक्षा विभाग का मानना है कि शिक्षकों के कोचिंग और ट्यूशन पढ़ाने से उनका ध्यान और ऊर्जा स्कूल के बच्चों पर कम लगती है। बच्चों का सरकारी स्कूलों से मोहभंग कई बार बच्चे स्कूल के बजाय सीधे कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं। इससे स्कूल की भूमिका कमजोर हो जाती है। निजी कोचिंग का प्रचलन सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करता है।

नियम का उल्लंघन करने पर सजा

सरकार ने इस आदेश को सख्ती से लागू करने के लिए चेतावनी दी है। अगर कोई शिक्षक कोचिंग या ट्यूशन पढ़ाते हुए पाया गया, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। लगातार नियम तोड़ने पर शिक्षकों की नौकरी भी जा सकती है। सरकारी आदेश न केवल शिक्षकों बल्कि छात्रों को भी ध्यान में रखकर बनाया गया है। छात्रों को स्कूल के दौरान कोचिंग जाने की अनुमति नहीं है।

रील्स और सोशल मीडिया गतिविधियों पर रोक: शिक्षा विभाग ने स्कूल परिसर में शिक्षकों और छात्रों के रील्स बनाने पर भी रोक लगा दी है। बिहार सरकार का यह कदम शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

चुनौतियां और समाधान

हालांकि, इस नीति को लागू करने में कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं।

नियंत्रण और निगरानी: यह सुनिश्चित करना कि सभी शिक्षक नियम का पालन करें, कठिन हो सकता है।

विकल्प की आवश्यकता: छात्रों की पढ़ाई की अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने के लिए स्कूल में ही अतिरिक्त कक्षाओं का आयोजन करना होगा।

सामाजिक स्वीकार्यता: अभिभावकों और शिक्षकों को इस बदलाव के फायदे समझाने की आवश्यकता है।

Editor's Picks