Bihar News:बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज के लिए भटकना कोई नई बात नहीं है। हाल ही में हाजीपुर सदर अस्पताल में एक मरीज को खुद सलाइन का बोतल लेकर स्ट्रेचर पर ले जाते हुए देखा गया। यह घटना बिहार के स्वास्थ्य सिस्टम की दयनीय स्थिति का एक उदाहरण है।
बिहार के सुशासन बाबू के स्वास्थ्य व्यवस्था में हाजीपुर सदर अस्पताल में आधा से ज्यादा पद खाली है। जिसको लेकर ना तो सरकार कुछ कर पा रही है और नहीं स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम। हर साल करोड़ों रुपए से ज्यादा खर्च हो रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपने में सुधार लाने को तैयार नहीं हो रही है। सरकारी अस्पताल में दलाल का बोल बाला है। जब सदर अस्पताल के अधिकारी और डॉक्टर ही निजी अस्पताल से मिली भगत कर पूरे सिस्टम को चला रहे हैं। तो स्वास्थ्य विभाग कैसे सुधरेगा मिली भगत का सिस्टम एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद खुलासा हुआ हाजीपुर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर हरिप्रसाद के द्वारा हाजीपुर सदर अस्पताल में भर्ती एक महिला मरीज को अपने सामने ही निजी एंबुलेंस में लोड करवा कर एस्कॉर्ट कर उसे अपने निजी अस्पताल हाजीपुर के जौहरी बाजार ले जाया गया जब इसको लेकर वैशाली जिले के सिविल सर्जन से सवाल की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले को जानने से ही इनकार कर दिया कहा कि सब कुछ का इलाज हाजीपुर सदर अस्पताल में नहीं होता है। मरीजों का मन होता है तो बाहर काहें नहीं जा सकता है।
जिसके कंधे पर जिले के सबसे बड़े अस्पताल सदर अस्पताल को चलाने की जम्मेवारी अगर वहीं सिस्टम में सेंड करें तो समझ लीजिए की स्वास्थ्य विभाग कितना बेबस और लाचार हो गया है। कथित तौर पर हाजीपुर सदर अस्पताल से मिली भगत कर बाहर मरीज को सरकारी कर्मचारी एवं डॉक्टर के द्वारा निजी अस्पताल में भर्ती करने के बाद अच्छी खासी रकम सरकारी कर्मचारी और डॉक्टर को मिलती है। पूरे दिन सदर अस्पताल में दलालों का बोल बाला निजी जांच घर बालों का सदर अस्पताल में लगा रहता है और देहाती क्षेत्र से सदर अस्पताल में इलाज करने वाले सीधे-साधे लोगों को दलालों के द्वारा टारगेट कर उन्हें सदर अस्पताल से बाहर ले जाकर अच्छी खासी रकम की वसूली की जाती है।
रिपोर्ट- ऋषभ कुमार