Bihar School News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ी समस्या दोहरे नामांकन की है। कई छात्र सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में नामांकित हैं जिससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बिहार में करीब 3.50 लाख ऐसे छात्र हैं जिनका एडमिशन निजी के साथ साथ सरकारी स्कूल में भी है। ऐसे में निजी स्कूल के बच्चे सरकारी स्कूल के बच्चों को दी जाने वाली योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। इसका खुलासा छात्रों के आधार कार्ड को ई शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड के दौरान मिली।
दोहरे नामांकन के दुष्परिणाम
ये छात्र छात्रवृत्ति, पोशाक, बैग और साइकिल जैसे सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं जिसके कई दुष्परिणाम हैं। दरअसल, सरकार छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल जैसी योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। ऐसे में दोहरे नामांकन के कारण यह पैसा गलत हाथों में जा रहा है। शिक्षा विभाग को छात्रों की संख्या, स्कूलों की संख्या, शिक्षकों की नियुक्ति आदि के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है। दोहरे नामांकन के कारण मिड-डे-मील योजना में भी गड़बड़ी होती है और पैसा बर्बाद होता है। साथ ही दोहरे नामांकन के कारण छात्रों की उपस्थिति कम होती है, जिससे शिक्षकों की पढ़ाई में रुचि कम होती है।
मिड-डे-मील में 64 लाख का हेरा-फेरी
दोहरे नामांकन के कारण विभाग को हर साल मिड-डे-मील में 64 करोड़ का नुकसान हो रहा है। बताया जा रहा है सभी स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुसार मिड-डे मील में अनाज देने के साथ श्री गैस, सब्जी, नमक, तेल सहित अन्य खरीद के लिए पैसा मिलता है। 1 से 5वीं का एक के प्रति छात्र 5.45 रुपए, 6 से 8वीं कक्षा के लिए प्रति छात्र 3.17 रुपए तय है। ऐसे में 3.50 लाख छात्रों के मिड-डे-मील में ही लगभग 64 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष हेराफेरी की संभावना है।
शिक्षा विभाग का आदेश
शिक्षा विभाग ने निजी और सरकारी स्कूल के सभी छात्रों के आधार कार्ड को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया है। इससे दोहरे नामांकन का पता लगाना आसान हो गया है। फिलहाल अभी तक 80 लाख से अधिक छात्रों के आधार कार्ड अपडेट हो चुका है। वहीं दोहरे नामांकन वाले छात्रों की पहचान कर उन्हें सरकारी योजनाओं से वंचित किया जा रहा है। मिड-डे-मील योजना में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य में दोहरा नामांकन सबसे अधिक मधुबनी में 19200 है। जबकि, सबसे कम ऐसे नामांकन शेखपुरा में 2006 हैं।
किस जिले में कितने दोहरे नामांकन
पटना- 9202, मधुबनी-19208, गया-14420,मधेपुरा-10254,गोपालगंज-427, सीतामढ़ी-18490, वैशाली-14116, नवादा- 9456, कैमूर- 4184, पूर्णिया-13854, नालंदा-8274, मुंगेर- 3944, दरभंगा-18344, पूर्वी चंपारण-13562, रोहतास- 6630, शिवहर-3254, मुजफ्फरपुर-15774,अररिया-11168, भागलपुर-6348, अरवल- 2952, समस्तीपुर-15026, सुपौल-11126, औरंगाबाद-6046, जहानाबाद-2914, बेगूसराय-14704, सिवान-10648, भोजपुर-5250, किशनगंज-2794, सारण-14636, कटिहार -10292, बक्सर-4876, शेखपुरा- 2006 जिले में दोहरे नामांकन हैं।