Bihar Police News: बिहार से चार थानेदारों पर जुर्माना लगा है। इस थानेदारों ने केस दर्ज करने में बड़ी लापरवाही बरती थी। जांच के बाद इनपर कार्रवाई की गई है। दरअसल, थाने में आवेदन देने के बावजूद एफआईआर दर्ज न करना चार थानेदारों को महंगा साबित हुआ। एफआईआर दर्ज न होने से परेशान परिवादियों ने निबंधित डाक से भी आवेदन की प्रतियां थाने भेजीं, लेकिन थानों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
परिवादियों ने कोर्ट से लगाई गुहार
इससे नाराज परिवादियों ने जिला लोक शिकायत निवारण कोर्ट में परिवाद दायर किया। सुनवाई के दौरान संबंधित एसएचओ अदालत में पेश नहीं हुए, जिससे मामले का निवारण नहीं हो सका। इसके चलते अदालत ने चारों थानेदारों पर 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की।
केस 1- आठ बार नोटिस के बावजूद लापरवाही
मुजफ्फरपुर के साहेबगंज निवासी विजय सिंह ने कल्याणपुर थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। मामले की शिकायत पर जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय ने आठ बार नोटिस भेजी। थाने के प्रतिनिधि चार बार पेश हुए लेकिन तीन बार अनुपस्थित रहे। सुनवाई के दौरान थाने की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई गई। आदेश की अवहेलना पर कार्यालय ने कल्याणपुर थानेदार पर 5,000 रुपये जुर्माने की अनुशंसा की।
केस 2:- एसपी और डीएम को भेजी गई सूचना
आदापुर के यमुनापुर निवासी तारिक अनवर ने आदापुर थाने में एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया। जब सुनवाई नहीं हुई, तो उन्होंने आवेदन स्पीड पोस्ट से भेजा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला जिला लोक शिकायत कार्यालय पहुंचा। एसएचओ आदापुर धर्मवीर चौधरी पांच सुनवाई तिथियों पर अनुपस्थित रहे। इस पर कार्यालय ने 5,000 रुपये जुर्माने की अनुशंसा की और एसपी एवं डीएम को कार्रवाई के लिए सूचित किया।
केस 3- डुमरियाघाट थाने में शिकायत की अनदेखी
डुमरियाघाट थाना क्षेत्र के खजुरिया गांव निवासी चंद्रदेव चौरसिया ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने निबंधित डाक से आवेदन भेजा और फिर जिला लोक शिकायत कार्यालय में परिवाद दायर किया। लेकिन डुमरियाघाट थाने के एसएचओ सुधीर कुमार सुनवाई की पांच तिथियों पर भी उपस्थित नहीं हुए।
केस 4- जमीन विवाद में एफआईआर दर्ज नहीं की गई
केसरिया थाने के एसएचओ ने जमीन विवाद के मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की। नोटिस मिलने के बावजूद जिला लोक शिकायत कार्यालय में पेश नहीं हुए और मामले के निवारण में रुचि नहीं दिखाई। कार्यालय ने एसएचओ पर 5,000 रुपये जुर्माने की अनुशंसा की और एसपी से शोकॉज नोटिस जारी करने का अनुरोध किया। साथ ही आदेश दिया कि मामले की जांच किसी अन्य अधिकारी से कराकर तीन सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करें।