पब्लिक टॉयलेट यूज करना मतलब हर तरफ गंदगी-ही-गंदगी रहना। टॉयलेट सीट का हाल भी बेहद खराब रहता है। देश में अधिकांश पब्लिक टॉयलेट का यही हाल होता है। कोई भी व्यक्ति वहां जाना पसंद नहीं करता, जब तक कि बहुत इमरजेंसी न हो। यहां हर कोने में बैक्टीरिया मौजूद होते हैं और जैसे ही हम टॉयलेट के दरवाजे को छूते हैं, तुरंत इसके संपर्क में आ जाते हैं। ये बैक्टीरिया हमें कई तरह के इन्फेक्शन और बीमारियों के जोखिम में डाल सकते हैं।
गंदा पब्लिक टॉयलेट यूज करने से कई नुकसान हैं। यहां अधिकांश पब्लिक टॉयलेट बैक्टीरिया और खतरनाक वायरस से भरे होते हैं, जिससे यूजर्स में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यहां मौजूद हेपेटाइटिस ए वायरस और स्ट्रेप्टोकोकस, स्टेफिलोकोकस और ई. कोली जैसे बैक्टीरिया से कई बीमारियां हो सकती हैं। ऐसे ही 20 नाम और हैं। लेकिन उन बैक्टीरिया के नामों से ज्यादा जरूरी है बस एक बात को ध्यान में रखना कि गंदे पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना बीमारियों को दावत देने जैसा है।
पब्लिक टॉयलेट में गंदगी की वजह से विशेष रूप से महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है। इसकी वजह से टॉयलेट करते समय दर्द या जलन होना, बार-बार टॉयलेट आना, टॉयलेट में झाग या खून जैसा दिखना, पीठ या पेट के निचले हिस्से में दर्द होना जैसी गंभीर हेल्थ कंडीशंस बन सकती हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन ई कोली और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया के कारण होता है, जो पब्लिक टॉयलेट की सीट, फ्लश हैंडल और दरवाजे के हैंडल पर अकसर ही मौजूद होते हैं। ये बैक्टीरिया जब दूषित हाथों के माध्यम से भोजन के जरिए पेट में जाते हैं तो दस्त, पेट दर्द और मतली जैसे लक्षण पैदा कर सकते हैं।
पब्लिक टॉयलेट यूज करना इमरजेंसी में समझ सकते हैं। इस वजह से कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। शौचालय में किसी भी दरवाजे के हैंडल को सीधे नहीं छुना चाहिए। गंदी सीट का इस्तेमाल न करें। हमेशा टॉयलेट पेपर का उपयोग करें। सीट को कीटाणुरहित करने के लिए सैनिटाइजर का उपयोग करें। फ्लश करते हुए उसके हैंडल को सीधे हाथ से न छुएं। हमेशा ढक्कन बंद करके फ्लश करें। कुछ नई गतिविधियां शुरू होगी, साथ ही परिजनों का सहयोग आपको फैसला लेने में मदद कर सकता है। युवाओं को किसी सराहनीय कार्य की वजह से विशेष सम्मान भी मिल सकता है। वह लोग भविष्य को लेकर सजग रहेंगे।