पैंक्रियाज हमारे पेट के पिछले हिस्से में मौजूद एक महत्वपूर्ण अंग है, जो एंजाइम और हार्मोन रिलीज करके शरीर को स्वस्थ रखता है। पैंक्रियाज की सेल्स आमतौर पर एक पैटर्न में बढ़ती और खत्म होती हैं। लेकिन कैंसर के कारण ये सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और ट्यूमर बना लेती हैं।
पुरुषों में ज्यादा मामले क्यों?
खराब खानपान:
हाई फैट और अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड, जैसे पिज्जा और बर्गर, भारतीय शहरी पुरुषों की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं। यह कैंसर का एक बड़ा कारण है।
सिगरेट और शराब की लत:
पुरुषों में इनकी खपत महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है, जिससे उनकी पैंक्रियाज पर अधिक असर पड़ता है।
प्रदूषण और लाइफस्टाइल:
शहरी इलाकों में प्रदूषण और गतिहीन जीवनशैली भी इसकी संभावना बढ़ाते हैं।
जेनेटिक कारण:
परिवार में कैंसर का इतिहास भी जोखिम को दोगुना करता है।
लक्षण क्या हैं?
पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती चरण में लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन ट्यूमर बढ़ने पर ये संकेत मिल सकते हैं:
पेट और पीठ के बीच तेज दर्द
वजन में तेजी से गिरावट
त्वचा और आंखों का पीलापन (पीलिया)
अचानक डायबिटीज का होना
पाचन संबंधी समस्याएं और थकान
पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव के उपाय
संतुलित आहार लें:
ज्यादा फाइबर, फल, सब्जियां, और साबुत अनाज का सेवन करें।
सिगरेट और शराब से बचें:
इनका सेवन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।
नियमित व्यायाम करें:
एक्टिव रहने से मोटापा और अन्य बीमारियों का खतरा कम होता है।
डॉक्टर से समय-समय पर जांच कराएं:
परिवार में कैंसर का इतिहास होने पर नियमित चेकअप करवाएं।
इलाज क्या है?
पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज स्टेज और मरीज की हालत पर निर्भर करता है। इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, और इम्यूनोथेरेपी शामिल हो सकते हैं। शुरुआती चरण में इलाज की संभावना बेहतर होती है।
चिंता का विषय
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, पैंक्रियाटिक कैंसर हर साल दुनिया भर में 4.6 लाख से ज्यादा मौतों का कारण बनता है। भारत में भी यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर पर पुरुषों में।
पैंक्रियाटिक कैंसर का खतरा समय के साथ बढ़ रहा है, लेकिन सही खानपान, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच से इसे रोका जा सकता है। अगर किसी भी लक्षण का अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जीवनशैली में छोटे बदलाव इस बड़ी बीमारी को टालने में मददगार हो सकते हैं।