Bihar School News:गिरते दीवारों के बीच हर दिन मौत के साये में पढ़ाई, जर्जर स्कूल भवन में 100 बच्चों की जिंदगी दांव पर, अफसरों ने साधी चुप्पी
Bihar School News:मध्य विद्यालय में पढ़ाई अब शिक्षा नहीं, साहस और किस्मत का खेल बन चुकी है। 100 से अधिक बच्चों वाला यह स्कूल जर्जर भवन की चपेट में है...

Bihar School News:मध्य विद्यालय में पढ़ाई अब शिक्षा नहीं, साहस और किस्मत का खेल बन चुकी है। 100 से अधिक बच्चों वाला यह स्कूल जर्जर भवन की चपेट में है, जहां हर दिन मलबे की बारिश, छतों से झड़ती ईंटें और दीवारों की दरारें बच्चों के सिर पर खतरे की तरह लटक रही हैं।मुआमला जमुई के झाझा प्रखंड के नारगंजो उत्क्रमित मध्य विद्यालय का है।
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रयाग यादव ने बताया कि अब तक कई बार शिक्षक और छात्र बाल-बाल बच चुके हैं। लेकिन किस दिन यह किस्मत साथ छोड़ दे, कहना मुश्किल है। यहां पढ़ने वाले बच्चे डर के साये में किताबें खोलते हैं, तो शिक्षक हर पल ईश्वर का नाम लेकर क्लास में खड़े होते हैं।
इस गंभीर स्थिति को लेकर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार जानकारी दी गई है।ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई।स्थानीय पंच और ग्रामीणों ने भी अपनी चिंता जताई।
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का कहना है कि उन्होंने वरिष्ठ अफसरों को रिपोर्ट सौंप दी है।लेकिन ज़मीनी हकीकत में आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस लापरवाही से साफ ज़ाहिर है कि प्रशासनिक अमला किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है। क्या एक मासूम की जान जाना जरूरी है, ताकि नींद से जागे अफसर और सिस्टम?
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही स्कूल की मरम्मत या नया भवन नहीं बना, तो वे जन आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ उनकी जिंदगी से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं होगा।
सरकार जहां एक ओर "हर घर शिक्षा, हर बच्चा सुरक्षित" जैसे नारे देती है, वहीं दूसरी ओर गांवों के ये सरकारी स्कूल "मौत के स्कूल" बनते जा रहे हैं।क्या ये वही 'शिक्षा का अधिकार' है, जो संविधान ने हर बच्चे को देने का वादा किया था?