बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

Patna Highcourt: फंस गए CO साहेब, पटना हाईकोर्ट की अनदेखी पड़ गया महंगा, एक गांव के अतिक्रमण से जुड़ा है मामला

Patna Highcourt: पटना हाईकोर्ट के आदेश को अनदेखी करना एक सीओ को महंगा पड़ गया है। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है...

पटना हाईकार्ट
CO sahab in trouble- फोटो : social media

Patna Highcourt: बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप कुमार जायसवाल की घोषणाओं ने रैयतों को राहत की उम्मीद जरूर दी है, लेकिन स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी इन उम्मीदों पर पानी फेर रही है। नालंदा जिले के बिहारशरीफ अंचलाधिकारी (सीओ) प्रभात रंजन पर पटना हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना का गंभीर आरोप लगा है। दरअसल, मामला बिहारशरीफ अंचल के पावा गांव से जुड़ा है। जहां सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतें सामने आई हैं। यह जमीन मौजा पावा के तहत गैरमजरुआ आम संपत्ति घोषित की गई है। इसमें प्लॉट नंबर 1900, 2750, 2752, 2753 और 2756 शामिल हैं, जिनका कुल रकबा लगभग 1.1 एकड़ है।

पटना हाई कोर्ट का आदेश और सीओ की अनदेखी

पावा गांव के निवासी विशाल शंकर ने इस सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पटना हाई कोर्ट में याचिका (CWJC संख्या 6986/2024) दायर की थी। 11 जुलाई 2024 को न्यायाधीश मोहित कुमार शाह ने अंचलाधिकारी को छह सप्ताह के भीतर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया। हालांकि, छह सप्ताह तो दूर, छह महीने बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेज और हाई कोर्ट का आदेश समय पर अंचलाधिकारी को सौंपे थे, लेकिन इसके बावजूद सीओ ने कोई पहल नहीं की।

अवमानना वाद की तैयारी में याचिकाकर्ता

सीओ की निष्क्रियता से निराश होकर याचिकाकर्ता विशाल शंकर अब पटना हाई कोर्ट में अवमानना वाद दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने जिलाधिकारी शशांक शुभंकर को आवेदन देकर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की गुहार लगाई थी। इस मामले में बिहार प्रदेश किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजीव कुमार मुन्ना ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पावा मौजा के राजस्व कर्मचारी राम स्नेही साह पर गलत दाखिल-खारिज के लिए प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद अंचलाधिकारी ने उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की। 

सीओ की लापरवाही उजागर 

उन्होंने सीओ प्रभात रंजन की कार्यशैली को सुशासन और कानून के राज के खिलाफ करार दिया। यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि आम जनता के अधिकारों की अनदेखी का भी प्रतीक है। अतिक्रमण हटाने में हो रही देरी न्याय की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती है।

Editor's Picks