Train Accident:बिहार में टला बड़ा रेल हादसा, उदयपुर-कामाख्या एक्सप्रेस हादसे से बाल-बाल बची ,डर से कांपने लगे यात्री

Train Accident: पूर्वोत्तर भारत की पटरियों पर उस रोज किस्मत ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। ट्रेन संख्या 19615 उदयपुर से कामाख्या जा रही एक्सप्रेस जब डंडखोरा स्टेशन के पास पहुंची, तो एक ऐसी दुर्घटना घटी...

Udaipur Kamakhya Express
बिहार में टला बड़ा रेल हादसा- फोटो : reporter

Train Accident: पूर्वोत्तर भारत की पटरियों पर उस रोज किस्मत ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। ट्रेन संख्या 19615  उदयपुर से कामाख्या जा रही एक्सप्रेस  जब डंडखोरा स्टेशन के पास पहुंची, तो एक ऐसी दुर्घटना घटी, जो यदि क्षण भर और गंभीर हो जाती, तो कई परिवारों की कहानियाँ वहीं थम सकती थीं।

सूचना मिली है कि ट्रेन के पिछले डिब्बे के चक्के की 'पत्ती'  जो संतुलन का आधार होती है  टूट गई। इस टूटन ने रेलवे ट्रैक की मर्यादा को चुनौती दे दी। स्थानीय निवासियों के अनुसार, ट्रेन का पहिया एक लंबी दूरी तक पटरियों से फिसलकर बाहर की ओर घिसटता चला गया, मानो ज़िंदगी खुद पटरियों से उतर गई हो।

लेकिन, चमत्कार कहें या इंजीनियरिंग का संयोग  ट्रेन का वही पहिया खुद-ब-खुद वापस पटरी पर चढ़ गया। न कोई जान गई, न खून बहा। केवल डर और राहत की मिली-जुली लहर यात्रियों और स्थानीय लोगों के चेहरे पर रह-रह कर दौड़ती रही।

कटिहार स्टेशन से खुलने के बाद कविगुरु एक्सप्रेस न्यू जलपाईगुड़ी की ओर जा रही थी। और जैसे ही डंडखोरा स्टेशन पार हुआ, यह तकनीकी गड़बड़ी सामने आई। स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाई, रेलवे अधिकारियों को सूचना दी, और ट्रैक की हालात की ओर ध्यान खींचा।

रेलवे विभाग ने तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, जांच की प्रक्रिया आरंभ की और प्राथमिक जांच के बाद ट्रेन को सावधानीपूर्वक आगे रवाना कर दिया गया।

यह घटना न सिर्फ रेल व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय रेल की जीवनरेखा आज भी किस हद तक संसाधनों और संयोग पर निर्भर है।एक डिब्बे की पत्ती टूटी, और देश की कई धड़कनें थमने को थीं। परंतु इस बार किस्मत ने मुस्कुराकर कह दिया  "हादसा नहीं होगा, अलर्ट हो जाओ!"

रिपोर्ट- श्याम कुमार सिंह