बड़हिया रेफरल अस्पताल में घोर लापरवाही ! सिक्यूरिटी गार्ड के भरोसे अपना काम छोड़ देते हैं डॉक्टर, DM के आदेश का भी असर नहीं
बड़हिया रेफरल अस्पताल में तैनात डॉ. सत्येंद्र पासवान को लेकर स्थानीय लोगों की गंभीर शिकायत सामने आई है कि वे अपना काम सिक्यूरिटी गार्ड से कराते हैं.
Bihar News : बड़हिया रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर लापरवाही सामने आई है। यहाँ तैनात डॉ. सत्येंद्र पासवान द्वारा OPD मरीजों की दवाओं एवं उपचार संबंधी संवेदनशील डेटा भव्या पोर्टल पर अस्पताल के गार्ड से एंट्री कराया जा रहा है, जबकि इस कार्य के लिए चिकित्सकों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया है। गार्ड न तो तकनीकी रूप से प्रशिक्षित है और न ही इस कार्य हेतु नियुक्त। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि गलत प्रविष्टि मरीजों के इलाज में जानलेवा चूक का कारण बन सकती है। वहीं स्थानीय लोगों ने इसे स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ खुला खिलवाड़ बताते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
प्रभारी सिविल सर्जन ही निभा रहे दोहरी जिम्मेदारी
सिविल सर्जन डॉ. उमेश प्रसाद सिंह को हाल में ही प्रमोशन मिला है, लेकिन बड़हिया रेफरल अस्पताल का पदाधिकारी प्रभारी अब तक औपचारिक रूप से तैनात नहीं किया गया। नतीजा है कि इसी अस्पताल का अतिरिक्त भार प्रभारी सिविल सर्जन ही अपने स्तर पर संभाल रहे हैं, जिससे अस्पताल प्रबंधन में निगरानी और अनुशासन दोनों कमजोर पड़े हैं। स्थानीय लोगों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि जब अस्पताल बिना प्रभारी के चलेगा, तो डॉक्टर भी मनमानी करेंगे।
डीएम के निर्देश की भी उड़ रही धज्जियाँ
स्थिति ऐसी है कि बड़हिया रेफरल अस्पताल को लेकर लखीसराय जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा बैठक में दिए गए निर्देशों की भी धज्जियाँ उड़ रही हैं. हाल ही में जिलाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में भव्या पोर्टल पर समयबद्ध डेटा एंट्री, डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति और लापरवाही पर सीधी कार्रवाई के स्पष्ट आदेश दिए थे। इसके बावजूद बड़हिया में वही पुरानी लापरवाही जारी है।
CCTV फुटेज बना सबूत !
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में CCTV कैमरे लगे हैं। अगर जिलाधिकारी चाहें तो CCTV फुटेज जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी कर सकते है। वहीं सबसे बड़ा सवाल है कि मरीज किसके भरोसे रहें. अस्पताल में प्रशासनिक ढिलाई सहित डॉक्टर की मनमानी से सबसे बड़ा नुकसान मरीजों का हो रहा है. लोगों की चिंता साफ है कि “जब इलाज का डेटा भी सुरक्षित नहीं रहेगा तो मरीज कैसे सुरक्षित रहेंगे?”
कमलेश की रिपोर्ट