Happy Mother Day: मधुबनी की बहादूर मां! जानें कैसे एक महिला ने चना बेचने वाले पति संग मिलकर बच्चों को दिए ऐसे संस्कार, जिसके बारे में जानकारी आप भी करेंगे सालाम
Happy Mother Day: मदर डे पर जानिए हरलाखी की अड़हुला देवी की प्रेरणादायक कहानी, जिनके दो बेटे और एक पोता आज भारतीय सेना में देश की रक्षा कर रहे हैं।

आज मदर डे है, और ऐसे दिन उन माताओं की कहानियां सबसे प्रेरणादायक होती हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष और समर्पण से बेटों को योद्धा बना दिया। बिहार के हरलाखी प्रखंड के हरसुवार गांव की 70 वर्षीय अड़हुला देवी की कहानी उन्हीं में से एक है। एक साधारण गृहिणी जो कभी चना बेचने वाले पति के साथ असम के डिब्रूगढ़ में रहती थीं, आज गर्व से कहती हैं – “मेरे बच्चे देश की सेवा में हैं, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है।”
कठिन हालात, लेकिन शिक्षा और अनुशासन से कोई समझौता नहीं
अड़हुला देवी की जिंदगी साधारण नहीं थी। उनके पति भरोसी मिश्रा डिब्रूगढ़ की गलियों में चना बेचकर परिवार चलाते थे। आमदनी सीमित थी, लेकिन सपने असीम। अड़हुला देवी हर दिन सुबह चार बजे उठतीं – पहले बच्चों के पढ़ने के लिए लाइट की व्यवस्था करतीं, फिर पति के लिए चाय-नाश्ता तैयार करतीं और उसके बाद बच्चों को स्कूल भेजने की तैयारी में जुट जातीं।
बचपन से ही बच्चों में संस्कार, अनुशासन और शिक्षा की महत्ता भर दी गई थी। जब संसाधन नहीं होते, तो यही मूल्य भविष्य की नींव बनते हैं। यही कारण रहा कि उनका बड़ा बेटा भारतीय वायु सेना में चुना गया। यह पल सिर्फ परिवार नहीं, गांव और समाज के लिए भी गर्व का क्षण था।
सेवा की परंपरा बनी विरासत
बड़े बेटे के सेना में शामिल होने के बाद दो अन्य बेटे भी सेना में भर्ती हुए। किस्मत ने एक बार परीक्षा ली जब बड़े बेटे का असमय निधन हो गया। लेकिन इस दुख को भी अड़हुला देवी ने साहस के साथ सहा और फिर अपने पोते को भी भारतीय सेना में भर्ती कराया। पति की मृत्यु पोते के भर्ती होने के तीन साल बाद हुई। लेकिन अड़हुला देवी को इस बात का संतोष रहा कि उन्होंने और उनके पति ने अपने बच्चों को उस मुकाम तक पहुँचाया जहाँ से कोई पीछे नहीं देखता।
मातृत्व की मिसाल – राष्ट्र को समर्पित जीवन
मातृत्व सिर्फ बच्चे को जन्म देना नहीं, बल्कि उन्हें सही दिशा देना, संस्कार देना, और देश के लिए तैयार करना भी है। अड़हुला देवी इस बात की जीवंत मिसाल हैं। उनका जीवन दिखाता है कि गरीबी, अभाव और संघर्ष यदि आपके इरादों को कमजोर नहीं कर सकते, तो हर सपना पूरा हो सकता है। मातृ दिवस पर जब हम माताओं को याद करते हैं तो अड़हुला देवी जैसी मांओं को सलाम करना आवश्यक हो जाता है। उनकी मेहनत, त्याग और समर्पण से आज तीन जवान भारतीय सेना में तैनात हैं – दो बेटे और एक पोता।