Motihari Money laundering: मोतिहारी में ‘बॉस गैंग’ का पर्दाफाश! डार्क वेब और USDT से करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग, SSB के जवान की भी मिलीभगत

Motihari Money laundering: बिहार के मोतिहारी साइबर थाना पुलिस ने डार्क वेब के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले 'बॉस गैंग' का खुलासा किया है। जानिए कैसे यह नेटवर्क USDT और हवाला के जरिए करोड़ों की हेराफेरी करता था।

Motihari Money laundering:
मोतिहारी में मनी लॉन्ड्रिंग का भाडांफोड़!- फोटो : social media

Motihari Money laundering: डिजिटल इंडिया के युग में जहां एक ओर तकनीकी सशक्तिकरण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधियों के लिए नए रास्ते खुलते जा रहे हैं। बिहार के मोतिहारी जिले की साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे ही हाई-टेक साइबर गैंग — ‘बॉस गैंग’ — का भंडाफोड़ किया है, जो डार्क वेब, क्रिप्टोकरेंसी (USDT), और हवाला के जरिए काले धन को सफेद करने में लिप्त था।

यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि इस गैंग में सरकारी सुरक्षा बल का एक जवान भी शामिल था। एसएसबी की 47वीं बटालियन के हवलदार पंकज पांडे की गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया कि साइबर अपराध अब सिर्फ बेरोजगार युवाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अब सरकारी तंत्र में भी अपनी जड़ें जमा चुका है।

USDT और डार्क वेब: कैसे होती थी मनी लॉन्ड्रिंग?

गैंग के मुख्य खिलाड़ी दयाशंकर और उसका सहयोगी मो. जावेद तकनीक का उपयोग कर USDT (Tether – एक स्थिर क्रिप्टोकरेंसी) के जरिए ब्लैक मनी को डिजिटल माध्यम से सफेद करते थे। यह पैसा हवाला के नेटवर्क के ज़रिये विभिन्न जिलों में पहुंचाया जाता था, जहां उसे स्थानीय निवेशों में लगाया जाता या नकद में ट्रांसफर किया जाता।USDT का इस्तेमाल इसलिए किया जाता था क्योंकि इसे ट्रेस करना कठिन है और यह फिएट करेंसी (जैसे INR या USD) में आसानी से बदला जा सकता है। डार्क वेब के जरिए इस गैंग ने अनट्रेसेबल चैनल्स का इस्तेमाल किया जिससे इनका नेटवर्क वैश्विक स्तर तक फैल गया था।

गिरफ्तारी और छापेमारी: क्या-क्या बरामद हुआ?

साइबर पुलिस ने पंकज पांडे और मो. जावेद को रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जबकि दयाशंकर अभी भी फरार है। छापेमारी के दौरान पुलिस को दो पॉकेट डायरी मिली हैं जिनमें लाखों-करोड़ों की लेन-देन की डिटेल्स हैं

कहां से पैसा आया, कहां भेजा गया और किन लोगों से संपर्क था — सब कुछ हाथ से लिखा हुआ।

डायरी में कुछ कोड वर्ड्स भी मिले हैं जिनकी व्याख्या अब साइबर फॉरेंसिक टीम कर रही है।

पुलिस को छपरा, बहास और घोड़ासहन जैसे स्थानों पर दयाशंकर के संभावित ठिकानों की जानकारी मिली है।