Bihar health: इलाज की जगह इन्कार… खांसी-सीने के दर्द वाले मरीज को डॉग-बाइट की सुई! स्वास्थ्य विभाग का कारनामा सुनकर रह जाएंगें दंग
Bihar health: बिहार में हुआ एक ऐसा कारनामा जिसने पूरे हेल्थ सिस्टम की पोल खोल दी। खांसी और चेस्ट-पेन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुँचा एक साधारण मरीज, लेकिन इलाज में ऐसी लापरवाही हुई कि उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
Bihar health: बिहार में हुआ एक ऐसा कारनामा जिसने पूरे हेल्थ सिस्टम की पोल खोल दी। मामला सुनकर किसी के भी होश उड़ जाएँ। खांसी और चेस्ट-पेन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुँचा एक साधारण मरीज, लेकिन इलाज में ऐसी लापरवाही हुई कि उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसे दवा नहीं, बल्कि कुत्ते के काटने की डॉग बाइट की सुई थमा दी गई! यह कोई मेडिकल गलती नहीं, बल्कि विभाग के भीतर चल रही घोर अराजकता की कहानी है। घटना मोतीहारी के संग्रामपुर पीएचसी का है।
सोशल मीडिया पर जब मरीज का पुर्जा वायरल हुआ तो यह खबर आग की तरह फैल गई। लोग तरह-तरह की बातें करने लगे—“देखिए पांडेय जी, आपके विभाग की हालत क्या है!” पुर्ज़ा बताता है कि 28 दिसंबर की सुबह 11:04 बजे रामकिशुन राम नामक मरीज चेस्ट-पेन और कफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुँचे थे। कम्प्लेन में साफ-साफ चेस्ट-पेन व कफ लिखा है, लेकिन डॉक्टर के ‘प्रोविज़नल डायग्नोसिस’ वाले कॉलम में दर्ज है डॉग बाइट! यही नहीं, आगे लिखा है कि मरीज को 28 नवंबर को रैबीज वैक्सीन का पहला डोज दिया जा चुका है और अगला डोज 1 दिसंबर को लगेगा।
मरीज जब दो दिन बाद भी खांसी और दर्द से कराहता रहा तो उसने गाँव में लोगों को पुर्जा दिखाया। जैसे ही उन्हें सुई का नाम दिखा—डॉग बाइट मरीज का कलेजा धक रह गया। उसने साफ कहा कि उसने अस्पताल में कहीं भी कुत्ते के काटने की बात नहीं कही थी।
मामले के तूल पकड़ने पर अस्पताल प्रभारी डॉ. पंकज कुमार ने इसे स्टाफ की “साज़िश” करार दिया और कहा कि उनके नाम पर गलत पुर्जा काटा गया है। वहीं दूसरी ओर प्रखंड प्रमुख और ग्रामीणों ने भी इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत की।
अब तीन दिन बाद जिले के प्रभारी सीएस डॉ. एस.एन. सत्यार्थी ने तीन-स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है। उन्होंने कहा—“खांसी-चेस्ट पेन के मरीज को डॉग बाइट की सुई लगाना बेहद गंभीर मामला है। जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई तय है।”
बहरहाल यह घटना सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि सिस्टम की सड़ांध और अदूरदर्शी कार्यशैली का नंगा सच है। मरीज इलाज के भरोसे जाते हैं, लेकिन यहां तो उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है वो भी खुलेआम।
रिपोर्ट- हिमांशु कुमार