Bihar News : शिक्षा विभाग में इंजीनियर, ठेकेदार और अधिकारी ने किया गजब खेल, बिना सिविल कार्य कराए ही डकार ली करोड़ो की राशि
Bihar News : मोतिहारी में सरकारी राशि की लूट का अनोखा मामला सामने आया है. जहा बिना काम कराये ही करोड़ों की राशि का भुगतान कर दिया गया है......पढ़िए आगे

MOTIHARI : बिहार में भष्टाचार के खिलाफ लगातार निगरानी विभाग,आर्थिक अपराध इकाई सहित एजेंसी करवाई में जुटी है। उसके बाद भी भ्रष्टाचार चरम पर है। कार्रवाई का अधिकारियों में कोई डर भय नही है। जहाँ भ्रष्टाचार के बिरुद्ध करवाई की जा रही है। वही एक से एक धनकुबेर सामने आ रहे है । ताजा मामला मोतीहारी शिक्षा विभाग से जुड़ा है। मोतीहारी शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर दो तत्कालीन डीईओ पर करवाई के बाद भी भ्रष्टाचार रुकने का नाम नही ले रहा है। मोतीहारी में इंजीनियर ,अधिकारी और ठीकेदार ने मिलकर गजब का खेल किया है। सरकार के बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए सुंदर स्कूल भवन बनाने के सपने को चूर करते हुए बिना एक रुपया के स्कूल में काम हुए आधा दर्जन स्कूलों के भवन मरमती के नाम ले करोड़ो का खेल कर दिया गया। आखिर सवाल उठता है कि स्कूल में जब काम नही हुआ तो जेई ,एई ने एमबी कैसे बुक किया। फर्जी बिल बनाकर समान खरीदा गया। वही तत्कालीन डीईओ,डीपीओ बिना स्कूल में एक पैसा का काम हुए प्रति विद्यालय 4-5 लाख भुगतान के लिए सूची बनाकर विभाग को भेज दिया गया। इधर जब स्कूल के एचएम से बात किया गया तो कोई काम ही नही हुआ है। मामला मोतीहारी जिला के संग्रामपुर प्रखंड के दर्जनों विद्यालय का बताया जा रहा है। जिला में विद्यालय में असैनिक कार्य मे भारी भ्रष्टाचार का मामला बीस सूत्री की बैठक ,जिला परिषद की बैठक सहित कई माननीय द्वारा उठाया गया था।
क्या है मामला -
दरअसल मोतीहारी शिक्षा विभाग में गजब का भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। बिना स्कूल में असैनिक कार्य कराए ही इंजीनियर ,अधिकारी व ठीकेदार मिलकर सरकार की करोड़ो की राशि डकारने लगे। जिला के संग्रामपुर प्रखंड के एक दर्जन विद्यालयों में एक पैसे का असैनिक कार्य नही कराकर करोड़ो की राशि डकारने का खेल का खुलासा हुआ है। मार्च 2025 में सरकारी स्कूलों में असैनिक कार्य करने वाले ठेकेदारों की राशि का भुगतान किया गया। फिर भी करोड़ों का भुगतान रूक गया। मार्च 2025 के बाद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने 260 स्कूलों की एक लिस्ट तैयार की। यह लिस्ट जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्र के आलोक में तैयार कर BSEIDC के उप प्रबंधक तकनीकी पूर्वी चंपारण को भेजी गई। लिस्ट में राशि भुगतान को लेकर विद्यालय की सूची संलग्न की गई थी। जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने 12 अप्रैल 2025 को उप प्रबंधक तकनीकी बीएसईडीसी को पत्र लिखा था। जिसमें कहा था कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने 10 अप्रैल 2025 को असैनिक योजनाओं से संबंधित सूची उपलब्ध कराने का कहा था। इस आलोक में वित्तीय वर्ष 2024- 25 के वैसे सभी असैनिक योजना का भुगतान किया जाना है। इस संबंध में क्रमांक 1 से 260 तक एजेंसी वार सूची संलग्न कर भेजी जा रही है। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने वैसे सरकारी स्कूल जहां मरम्मति के काम हुए थे, से संबंधित विपत्र जिनका भुगतान 25 मार्च 2025 के बाद नहीं हो सका था। उसकी सूची भेजी थी। जिन 260 स्कूलों की सूची जहां काम के बदले भुगतान करना था, उनमें अधिकांश केसरिया, तुरकौलिया, बंजरिया, कल्याणपुर, प्रखंड़ों के थे. कुल 11 करोड़ 41 लाख 32 हजार 321 रू का विपत्र भेजा गया था।
लेकिन अधिकारी, इंजीनियर व ठीकेदार के भ्रष्टाचार का खेल देखिए
अब आइए, मुख्य बिंदु पर. जिन विद्यालयों में हुए काम के बदले राशि भुगतान को लेकर डीईओ कार्यालय पूरी हड़बड़ी में था, उसकी हकीकत क्या है ? मोतिहारी के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने 12 अप्रैल को 260 स्कूलों में काम किए एजेंसी को भुगतान की लिस्ट BSEIDC के उप प्रबंधक तकनीकी पूर्वी चंपारण को भेजी। प्रति विद्यालय में 5 लाख से कम का बिल स्वीकार कर भेजा गया। यह काम जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने किया। इसके लिए 11 करोड़ 41 लाख 32 हजार रू का भुगतान करना था। जिला शिक्षा कार्यालय मोतिहारी के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की पोल उन विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने ही खोली। जब उनसे पूछा गया कि, आपके यहां स्कूल की मरम्मति हुई है। ठेकेदार ने काम किया है ? यह सवाल सुनकर हेडमास्टर भौंचक रह गए। इसके पूर्व में शिक्षा विभाग पटना के निर्देश पर असैनिक कार्यो का जांच डीडीसी के नेतृत्व में किया गया था। तत्कालीन डीडीसी ने भारी गड़बड़ी को लेकर तत्कालीन डीईओ ,डीपीओ ,आधा दर्जन जेई व ऐई पर करवाई के लिए रिपोर्ट भेजा गया था। लेकिन जिला में चर्चा है कि शिक्षा विभाग द्वारा तत्कालीन डीईओ को निलंबित करते हुए फाइल को ठंडा बस्ता में डाल दिया गया।
हेडमास्टरों ने खोली भ्रष्टाचार की पोल.....
मोतीहारी जिला के संग्रामपुर प्रखंड के लगभग 3 दर्जन विद्यालयों में एक हार्डवेयर नाम की एजेंसी ने कागज पर काम किया। आखिर बड़ा सवाल तो यह है कि जब स्कूल में काम नही हुआ तो आखिर जेई ऐई ने एमबी कैसे बुक किया।अधिकारी बिना एचएम से सत्यापन के भुगतान करने के लिए कैसे सूची बनाकर भेज दिए। आखिर प्रति विद्यालय 5 लाख से कम का बिल लगाया गया। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी(स्थापना) ने बिल स्वीकार कर भुगतान के लिए भेजा। काम के बदले बिल का भुगतान करना गुनाह नहीं। गुनाह तब है जब काम कागज पर ही हो जाय, जिस संस्थान में काम हुआ, उसके प्रधान को पता ही नहीं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है। मोतिहारी के सरकारी स्कूलों में ऐसा ही हुआ है। काम कागज पर हुआ और राशि सरकारी खजाने से निकाली जा रही। पूरी पोल-पट्टी सरकारी स्कूल प्रधानाध्यापक ही खोल रहे हैं । जिस विद्यालय में काम दिखाया जा रहा है, वहां किसी तरह का सिविल वर्क हुआ ही नहीं। G.M.S. के प्रधानाध्यापक रमेश तिवारी से पूछा गया कि आपके स्कूल में लगभग 4 लाख 90 हजार राशि से मरम्मति का काम हुआ है ? इस पर उन्होंने आश्चर्य जताया और कहा कि किसी तरह का कोई काम नहीं हुआ है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय राजपुर के प्रधान शिक्षक और राजपुर टोला के प्रधानाध्यापक संजय कुमार ने भी यही बातें कहीं। जीपीएस सिकंदरपुर खैराचक के प्रधानाध्यापक बलराम प्रसाद ने कहा कि उन्हें किसी तरह के काम होने की जानकारी भी नहीं है।इस संबंध में डीईओ व डीपीओ स्थापना से पूछा गया तो डीईओ ने बताया कि जांच टीम का गठन कर जांच करवाया जाएगा ।वही डीपीओ पहलाद गुप्ता ने भी बताया कि जांच किया जाएगा।
मोतिहारी से हिमाशु की रिपोर्ट