महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर रोक लगाने और समाज में उन्हें सम्मान दिलाने के लिए पुरुषों को महिलाओं के प्रति उनकी नैतिक जिम्मेदारी सिखाना बेहद जरूरी है। कटिहार की शिल्पी, जो महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश-दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी हैं, ने अपनी नई शॉर्ट टेली फिल्म 'झटका' के माध्यम से कोीशिश किया है।
सीमांचल के सुदूर इलाकों में बाल विवाह, मानव तस्करी और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर लंबे समय से काम कर रही शिल्पी ने अपने सामाजिक संगठन के जरिए इन इलाकों में कुछ हद तक बदलाव लाने में सफलता पाई है। वे मानती हैं कि अगर घरों में बेटों को बचपन से ही महिलाओं का सम्मान करना सिखाया जाए तो समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आएगा। उनकी शॉर्ट फिल्म 'झटका' इसी सोच पर आधारित है।शिल्पी कहती है अगर ऐसे बदलाव के शुरुआत किसी घर के भाई या बेटा को उनके परिजन समाज में महिलाओं के प्रति उनकी जिम्मेदारी के प्रारंभिक सिख देकर करें तो समाज में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, उनकी शॉर्ट टेली फिल्म इसी सोच पर आधारित है, सुदूर इलाके तक इनके प्रसारण से नारी सशक्तिकरण की दिशा में जमीनी स्तर पर किए जा रहे काम को एक बेहतर मुकाम मिल सकता है।
शिल्पी की इस फिल्म के प्रसारण से सुदूर इलाकों में नारी सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।बहरहाल _महिलाओं से जुड़े हुये अपराध पर रोक लगाना है या समाज में महिलाओं को सम्मान दिलाना है तो इसकी शुरुआत पुरुषों को महिला के प्रति उनकी नैतिक जिम्मेदारी सीखा कर ही हो सकता है,महिला सशक्तिकरण के मामले में अपने काम से देश-दुनिया में परचम लहराने वाली कटिहार की शिल्पी इस बार इसी दिशा में एक शॉर्ट टेली फिल्म 'झटका' बनाकर इसी मैसेज को देने की कोशिश किया है।