Bihar Politics: गांधी की मूर्ति पर भगवा टोपी, तेजप्रताप ने दूध से धोकर किया 'शुद्ध', बिहार में सियासी आंधी
Bihar Politics: मुज़फ्फरपुर के मीनापुर से निकली एक तस्वीर ने पूरे बिहार की सियासत में आग लगा दी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भाजपा का झंडा और टोपी लगाने की घटना ने राजनीतिक गलियारों का पारा चढ़ा दिया है।

Bihar Politics: मुज़फ्फरपुर के मीनापुर से निकली एक तस्वीर ने पूरे बिहार की सियासत में आग लगा दी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भाजपा का झंडा और टोपी लगाने की घटना ने राजनीतिक गलियारों का पारा चढ़ा दिया है। इस मामले में सबसे तीखा हमला बोला है पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के संस्थापक तेजप्रताप यादव ने।
मंगलवार की शाम तेजप्रताप यादव मीनापुर के रामकृष्ण उच्च विद्यालय पहुंचे और वहां गांधी प्रतिमा का दूध से शुद्धिकरण किया, जल से अभिषेक किया और फिर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। उनके पहुंचते ही भारी भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा इलाका सियासी नारों से गूंज उठा।
तेजप्रताप ने मंच से भाजपा और आरएसएस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा “मीनापुर शहीदों की धरती है। यहां महापुरुषों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। गांधी जी की प्रतिमा पर भाजपा का झंडा और टोपी लगाना सिर्फ़ असम्मान नहीं, बल्कि देश की आत्मा पर हमला है। जो लोग यह कृत्य करते हैं, उनके विरुद्ध मुक़दमा दर्ज होना चाहिए।”
तेजप्रताप ने एक्स (X) पर भी तीखा पोस्ट करते हुए भाजपा-आरएसएस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने लिखा “आरएसएस और भाजपा ने आज़ादी के दौर से ही बापू का अपमान किया है। गोडसे, जो आरएसएस की सोच से पैदा हुआ था, उसने गांधी जी की हत्या कर दी थी। वही मानसिकता आज भी ज़िंदा है।”
तेजप्रताप ने भाजपा को “कायर और देशद्रोही” करार देते हुए कहा कि इतिहास इन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। उन्होंने तंज कसते हुए जोड़ा “यह देश वीरों और शूरवीरों का है, मगर भाजपा-आरएसएस वाले गोडसे की संतानें हैं, जिनका मक़सद समाज को तोड़ना और नफ़रत फैलाना है।”
तेजप्रताप ने गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए नारा बुलंद किया “बापू अमर रहें, गोडसे मुर्दाबाद।” उनके शब्दों में जज़्बात और गुस्से का मिला-जुला असर साफ़ दिखा।
मीनापुर की इस घटना ने भाजपा और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का नया सिलसिला छेड़ दिया है। जहां तेजप्रताप यादव इसे लोकतंत्र और राष्ट्रपिता पर हमला बता रहे हैं, वहीं स्थानीय भाजपा नेता इसे विपक्ष की साज़िश बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।लेकिन सवाल अब बड़ा है क्या गांधी की प्रतिमा का अपमान बिहार की सियासत को और ज़्यादा गरमा देगा? या यह विवाद सिर्फ़ एक और सियासी तमाशा साबित होगा?