Bihar solar lights:बिहार में सोलर लाइट से बदलेगा अंधेरे का मंजर, जवाबदेही के साथ विकास का नीतीश का नया मॉडल, आप भी उठा सकते हैं लाभ

Bihar solar lights:बिहार में विकास की तस्वीर अब सियासी नारों से आगे निकलकर ज़मीन पर उतरती दिख रही है।

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बिहार में सोलर लाइट से बदलेगा अंधेरे का मंजर- फोटो : social Media

Bihar solar lights:बिहार में विकास की तस्वीर अब सियासी नारों से आगे निकलकर ज़मीन पर उतरती दिख रही है। तीसरे चरण के तहत मुजफ्फरपुर  जिले के विभिन्न वार्डों और पंचायतों में 17 हजार से अधिक सोलर लाइट लगाने का फैसला सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि प्रशासनिक सख्ती, जवाबदेही और जनहित का मिला-जुला पैग़ाम है। एजेंसियों का चयन कर कार्यादेश जारी हो चुका है और तीन महीने के भीतर काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।

इस योजना की सबसे अहम बात यह है कि अब सोलर लाइट सिर्फ लगेंगी ही नहीं, बल्कि उनकी देखरेख भी सुनिश्चित होगी। चयनित एजेंसी की यह जिम्मेदारी तय की गई है कि खराब होने पर 72 घंटे के भीतर मरम्मत की जाए। इतना ही नहीं, हर सोलर लाइट के खंभे पर एजेंसी के कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर दर्ज होगा, ताकि आम आदमी सीधे शिकायत कर सके। सियासी ज़ुबान में कहें तो यह जनता को अधिकार और एजेंसी को जवाबदेह बनाने की कोशिश है।

प्रशासन ने साफ शब्दों में हिदायत दी है कि गुणवत्ता से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। सामग्री की आपूर्ति समय पर हो और सार्वजनिक स्थानों पर ही लाइटें लगें, इसका विशेष ख्याल रखा जाएगा। जिले में चार एजेंसियों—आईटीआई लिमिटेड, जय ऑटो व्हीकल्स प्राइवेट लिमिटेड, सग्स लायड लिमिटेड समेत अन्य को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। तय समयसीमा में काम पूरा करना इन सभी के लिए अनिवार्य है।

बता दें  कि मुजफ्फरपुर जिले में कुल 54 हजार से अधिक सोलर लाइट लगाने की योजना है। अब तक 41 हजार लाइटों के लिए कार्यादेश जारी हो चुका है, जिनमें से करीब 26 हजार लगाई जा चुकी हैं। तीसरे चरण के बाद बचा हुआ काम चौथे चरण में पूरा किया जाएगा। यानी प्रशासन ने चरणबद्ध तरीके से लक्ष्य तय कर रखा है।

हालांकि, बीते अनुभव भी प्रशासन के सामने हैं। कई प्रखंडों में सैकड़ों सोलर लाइट खराब पाई गई थीं, जिन्हें तय समय में ठीक नहीं किया गया। इस पर विभाग ने सख्ती दिखाते हुए एजेंसियों पर ढाई लाख रुपये से अधिक का जुर्माना ठोका। नियम साफ है 72 घंटे के बाद हर दिन 10 रुपये प्रति लाइट के हिसाब से जुर्माना। यही वजह है कि अब एजेंसियों में भी खौफ और जिम्मेदारी दोनों नजर आ रहे हैं।

डीएम ने हालिया समीक्षा में जनप्रतिनिधियों से सहयोग लेने पर जोर दिया है, ताकि स्थल चिह्नित करने में सहूलियत हो। कुल मिलाकर, मुजफ्फरपुर में सोलर लाइट योजना अब सिर्फ रोशनी का इंतजाम नहीं, बल्कि जवाबदेही, पारदर्शिता और विकास की सियासत का नया मॉडल बनती दिख रही है।