Bihar Police: सड़क हादसे में दारोगा जितेंद्र सिंह शहीद, अज्ञात वाहन बना मौत का सौदागर,फर्ज़ की राह में मौत, पुलिस लाइन में पसरा मातम

Bihar Police:नवादा के मुफस्सिल थाना में तैनात एएसआई जितेंद्र कुमार सिंह, जो क़ानून और इंसाफ़ के लिए दिन-रात सेवा में जुटे रहते थे, सड़क हादसे में अपनी जान गंवा बैठे।...

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सड़क हादसे में नवादा के एएसआई जितेंद्र सिंह शहीद,- फोटो : reporter

Bihar Police: नालंदा की सुबह आज एक दर्दनाक ख़बर लेकर आई। नवादा के मुफस्सिल थाना में तैनात एएसआई जितेंद्र कुमार सिंह, जो क़ानून और इंसाफ़ के लिए दिन-रात सेवा में जुटे रहते थे, सड़क हादसे में अपनी जान गंवा बैठे। 51 वर्षीय जितेंद्र, वैशाली ज़िले के दिलावरपुर गाँव के बेटे, ड्यूटी पर एक केस की तहकीकात के लिए अपनी मोटरसाइकिल से पटना के महुआ की ओर रवाना हुए थे। लेकिन चंडी थाना क्षेत्र के कचरा भेड़िया गाँव के पास फोरलेन पर एक अज्ञात वाहन ने उन्हें बेरहमी से टक्कर मार दी और अंधेरे में ग़ायब हो गया।

गश्ती टीम की फुर्ती के बावजूद, तक़दीर बेरहम साबित हुई। गंभीर रूप से घायल जितेंद्र को एम्बुलेंस से बिहार शरीफ़ के मॉडल अस्पताल पहुँचाया गया, मगर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, सिर और दाहिने पैर में गहरी चोटें और अत्यधिक रक्तस्राव ने उनकी ज़िंदगी छीन ली थी। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सदर अस्पताल रेफ़र किया गया था, लेकिन रास्ते में ही उनका सफ़र थम गया।

ख़बर मिलते ही परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। बिहार शरीफ़ अस्पताल के गलियारों में उनकी पत्नी और बच्चों की चीखें गूंज उठीं, जिन्हें सुनकर सहकर्मी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। मुफस्सिल थाना के पुलिसकर्मी बताते हैं कि जितेंद्र सिंह एक ईमानदार, निडर और कर्तव्यनिष्ठ अफ़सर थे, जिन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया।

घटना स्थल पर जुटी पुलिस ने हादसे की जाँच तेज़ कर दी है। चंडी थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने बताया कि हादसा एक अज्ञात वाहन की टक्कर से हुआ, जिसकी तलाश में टीम लगी है। नवादा पुलिस को भी मामले की पूरी जानकारी दे दी गई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए पुलिस लाइन भेजा गया है।

इस हादसे ने न सिर्फ़ एक परिवार को सहारा खोने पर मजबूर कर दिया, बल्कि पुलिस विभाग ने भी अपना एक समर्पित सिपाही खो दिया है। नालंदा से लेकर नवादा तक पुलिस लाइन में मातम पसरा है। हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है—क्या उस मौत के सौदागर वाहन और उसके चालक को क़ानून के कटघरे में लाया जा सकेगा, या यह दर्द हमेशा अधूरा रह जाएगा?

रिपोर्ट- राज पाण्डेय