Bihar Chunav 2025: प्रसव पीड़ा के बीच डीसीएलआर रश्मि कुमारी ने निभाई चुनावी ड्यूटी, ईवीएम जमा कर ही पहुंचीं अस्पताल, बच्ची के जन्म से परिवार में छायी खुशी
जहां एक ओर कई अधिकारी मामूली कारणों से चुनावी ड्यूटी से बचने के बहाने बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर डीसीएलआर रश्मि कुमारी ने कर्तव्यनिष्ठा का ऐसा संगम पेश किया जो प्रशासनिक इतिहास में मिसाल बन गया।
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नालंदा जिले से एक ऐसी प्रेरणादायक घटना सामने आई जिसने पूरे प्रदेश को गर्व से भर दिया। जहां एक ओर कई अधिकारी मामूली कारणों से चुनावी ड्यूटी से बचने के बहाने बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर डीसीएलआर (भूमि सुधार उप समाहर्ता) रश्मि कुमारी ने मातृत्व और कर्तव्यनिष्ठा का ऐसा संगम पेश किया जो प्रशासनिक इतिहास में मिसाल बन गया।
हिलसा अनुमंडल में पदस्थापित रश्मि कुमारी उस वक्त प्रसव पीड़ा के अंतिम चरण में थीं, जब उन्हें इस्लामपुर विधानसभा के 390 मतदान केंद्रों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन मातृत्व की वेदना को नज़रअंदाज़ कर उन्होंने लोकतंत्र के इस महापर्व में पूरे समर्पण के साथ ड्यूटी निभाई। सुबह से देर रात तक वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहीं कहीं मतदान प्रक्रिया की समीक्षा, तो कहीं बूथ अधिकारियों से रिपोर्ट।
रश्मि कुमारी ने कहा कि यह मेरा पहला चुनावी अनुभव था। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे कारण प्रशासनिक काम में कोई कमी रह जाए। प्रसव पीड़ा थी, पर कर्तव्य उससे बड़ा। उनकी यह बातें आज पूरे नालंदा में गर्व और सम्मान के साथ दोहराई जा रही हैं।
मतदान खत्म होने के बाद भी उन्होंने चैन नहीं लिया। वे तब तक ड्यूटी पर डटी रहीं जब तक कि ईवीएम मशीनें नालंदा कॉलेज, बिहार शरीफ के संग्रह केंद्र में सुरक्षित जमा नहीं हो गईं। और जब सारा काम पूरा हुआ, तब सीधा अस्पताल पहुंचीं , जहां उन्होंने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि सेवा भावना और मातृत्व शक्ति जब साथ आती हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है। नालंदा प्रशासन, परिवारजन और आम जनता सभी उनके इस जज़्बे को सलाम कर रहे हैं।
रश्मि कुमारी की कहानी सिर्फ एक महिला अधिकारी की ड्यूटी का किस्सा नहीं, बल्कि भारतीय नारी की अदम्य शक्ति, समर्पण और साहस की जीवंत मिसाल है जिसने यह संदेश दिया कि कर्तव्य ही सच्ची पूजा है और मातृत्व उसकी सबसे ऊँची अभिव्यक्ति।
रिपोर्ट- राज पाण्डेय