Bihar Teacher Transfer: 8000 शिक्षकों ने वापस लिया तबादला आवेदन, पोर्टल पर बंद हुआ विकल्प, जानें क्यों लिया ये फैसला

Bihar Teacher Transfer: बिहार में 8000 से अधिक शिक्षकों ने ऐच्छिक स्थानांतरण के लिए दिया गया आवेदन वापस ले लिया है। जानिए इस निर्णय का असर किन शिक्षकों पर पड़ेगा और आगे की प्रक्रिया क्या है।

Bihar Teacher Transfer
बिहार टीचर ट्रांसफर- फोटो : social media

Bihar Teacher Transfer: बिहार के ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर ऐच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन देने वाले शिक्षकों को आवेदन वापसी का विकल्प सोमवार तक दिया गया था। लेकिन अब यह विकल्प बंद कर दिया गया है। इस अवधि में 8000 से अधिक शिक्षकों ने अपने तबादले का आवेदन वापस ले लिया, जिसमें कई ऐसे भी शिक्षक शामिल हैं जिनका विद्यालय आवंटित हो चुका था।इस निर्णय के बाद ये शिक्षक अब अपने मौजूदा विद्यालय में ही बने रहेंगे। उनका तबादला नहीं किया जाएगा और आवंटन की प्रक्रिया उनके लिए समाप्त हो गई है।

एक लाख 90 हजार में से 1.3 लाख शिक्षकों का हुआ तबादला

शिक्षा विभाग ने इस वर्ष एक लाख 90 हजार शिक्षकों से ऑनलाइन ऐच्छिक स्थानांतरण के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इनमें से 1.3 लाख शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया, और उनके लिए विद्यालय आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा अब तक 80% से अधिक स्थानांतरित शिक्षकों को नए विद्यालय आवंटित किए जा चुके हैं, और इन्हें 30 जून 2025 तक अपने नए विद्यालयों में योगदान देना अनिवार्य कर दिया गया है।

 जिन शिक्षकों ने आवेदन वापस लिया, उनके लिए अब क्या?

जिन शिक्षकों ने समय रहते स्थानांतरण आवेदन वापस ले लिया है, वे अब उसी विद्यालय में पदस्थापित रहेंगे, जहां वे वर्तमान में कार्यरत हैं। उनके तबादले की प्रक्रिया समाप्त मानी जाएगी, और अब कोई नया विद्यालय आवंटित नहीं होगा।यह विकल्प खासकर उन शिक्षकों के लिए राहत की बात बनी, जो अपने परिवार, बच्चों की पढ़ाई या स्वास्थ्य कारणों से स्थानांतरण नहीं चाहते थे।

शिक्षा विभाग की प्रक्रिया

बिहार सरकार का यह ऐच्छिक स्थानांतरण अभियान पारदर्शिता, डिजिटल प्रक्रिया और शिक्षक सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन, विद्यालय आवंटन और आवेदन वापसी जैसे सारे विकल्प दिए गए, जिससे प्रक्रिया समयबद्ध और सुगम बनी रही।शिक्षकों को अपने स्थानांतरण निर्णय पर पुनर्विचार करने का अवसर देना शिक्षा विभाग की एक लचीली और व्यावहारिक नीति को दर्शाता है।