Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले गरमाई राजनीति! मुकेश सहनी ने BJP पर किया सियासी हमला, बोलें-'राजनीति में दूध पीने वाला बच्चा नहीं रहा अब...'
Bihar Politics: बिहार में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने वाल्मीकि नगर में आईटी सेल बैठक के दौरान भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि अब निषाद सिर्फ मछली मारने वाला नहीं, बल्कि सत्ता में बैठने वाला वर्ग है।

Bihar Politics: बिहार के पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर में आयोजित विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की आईटी सेल की दो दिवसीय बैठक बिहार की राजनीति में नए सामाजिक समीकरण की दस्तक लेकर आई।बैठक के अंतिम दिन पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी ने जिस तरह से भाजपा पर निशाना साधा, उसने 2025 के चुनावी संग्राम की रणनीतिक दिशा साफ कर दी।
मुकेश सहनी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की उस टिप्पणी पर पलटवार किया, जिसमें उन्होंने वीआईपी से पूछा था कि कितने निषादों को टिकट दिया गया? सहनी ने दो टूक में जवाब देते हुए कहा कि हम सिनेमा हॉल का टिकट नहीं, सत्ता का टिकट देते हैं। हमने सबसे अधिक पिछड़े और अति पिछड़े समाज के लोगों को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि निषाद अब दूध पीने वाला बच्चा नहीं रहा है। वह अब सिर्फ मछली मार कर नहीं खाता है। राजनीति में भी बैठता है।
आंकड़ों के साथ किया दावा
उन्होंने आंकड़ों के साथ दावा किया कि वीआईपी ने अब तक अपने उम्मीदवारों में 37% अति पिछड़ा वर्ग,25% दलित समाज और 10% मुस्लिम समुदाय को प्रतिनिधित्व दिया है।मुकेश सहनी ने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि आपके पास 2020 में 110 सीटें थीं, आपने 55 टिकट ऊंची जाति वालों को दिए। क्या यही सामाजिक न्याय है?” उन्होंने आगे कहा भाजपा की 'सबका साथ, सबका विकास' नीति केवल नारों में सीमित है। 37% अति पिछड़ों को टिकट देकर दिखाएं, तभी भरोसा होगाॉ
निषाद समाज का उभार: मछली से सत्ता तक की यात्रा
मुकेश सहनी के अनुसार निषाद अब सिर्फ मछली मारने वाला नहीं, सत्ता में बैठने वाला समाज है। यह वक्तव्य एक गहरी राजनीतिक समझ को दर्शाता है कि सदियों से वंचित समुदायों की अब राजनीतिक चेतना जागृत हो रही है। वीआईपी पार्टी सामाजिक न्याय को वोट बैंक से हटाकर नेतृत्व देने के विमर्श में बदलने का प्रयास कर रही है। निषाद, मल्लाह, कुर्मी, कोयरी जैसे वर्गों को अधिकार दिलाना ही उनकी पार्टी का प्राथमिक एजेंडा है।