Ayeesha S. Aiman : बिहार की बेटी ने माँ के लिए बदल दी अपनी पहचान, जानिए कैसे सुप्रिया से आयशा बन बॉलीवुड में पाया मुकाम

Ayeesha S. Aiman : माँ के लिए बिहार की बेटी ने बदल दी अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान। जानिए सुप्रिया से आयशा तक का सफर.... कैसे पाई बॉलीवुड में मुकाम

Ayeesha S. Aiman
daughter changed her identity for her mother- फोटो : social media

Ayeesha S. Aiman : भारतीय सिनेमा की उभरती हुई प्रतिभा है आयशा एस ऐमन,  मिस इंडिया इंटरनेशनल का ताज जीतने वाली आयशा की यात्रा संघर्ष और आत्मबल की मिसाल रही है। लेकिन उनका सबसे भावनात्मक निर्णय तब आया जब उन्होंने अपनी माँ के अधूरे सपने को साकार करते हुए अपना नाम बदलने का फैसला किया। आयशा बताती हैं, “मेरा जन्म सुप्रिया के नाम से हुआ था। यह नाम मेरे साथ स्कूल, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की कक्षाओं, फैशन शो, अंतरराष्ट्रीय यात्राओं और मिस इंडिया पेजेंट्स और इंटरनेशनल ब्यूटी पेजेंट्स तक गया। 

“Supriya” इसी नाम से मैंने डिग्रियाँ हासिल कीं टॉप किया और मिस मिस international में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इसी नाम से मैंने एरोनॉटिकल के एंट्रेंस में ऑल इंडिया टॉप किया! सुप्रिया मेरे लिए आत्मविश्वास, मेहनत और जुनून की पहचान थी। लेकिन हर सफलता के पीछे मेरी माँ की एक  इच्छा थी — मुझे ‘आयशा’ नाम देना। उन्होंने कई बार कहा, ‘मैं तुम्हारा नाम आयशा रखना चाहती थी — Ayeesha matlab “आशा सा” लेकिन कुछ वजहों से मैं नहीं रख सकी।’

आयशा बताती हैं, “जब माँ ने ये बात चौथी बार कही, वो मुंबई में थीं, ये बोलते समय उनकी आंखें झूकी और चेहरे पर हल्की से मुसकान थी। मैंने उनके चेहरे की गहराई में देखा और उसी पल तय कर लिया — मैं उनकी ये ख्वाहिश पूरा करूंगी। यह नाम परिवर्तन किसी करियर प्लान का हिस्सा नहीं था, यह सिर्फ एक बेटी का अपनी माँ के ख्वाहिश पूरा करने का जज्बा था। 

आयशा एस ऐमन — यह नाम अब आधिकारिक है: ‘आयशा’, जो माँ का सपना था। ‘S’, जो सुप्रिया के संघर्षों की पहचान है। ‘ऐमन’, जो पारिवारिक जड़ों का प्रतीक है। आयशा बताती हैं, “यह कोई नई पहचान नहीं, बल्कि उस प्रेम की पूर्णता है जो जन्म से पहले ही तय हो चुका था माँ की नजरों में।”  आयशा बताती हैं, “जब मैंने पूर्ण रूप से नाम बदल दिया और माँ को पता चला — उनकी आँखों में नमी थी और मेरे दिल में गहरी संतुष्टि। लगा जैसे मैंने कोई मुकुट नहीं, माँ का आशीर्वाद पा लिया हो।”

मुझे लोग पूछते हैं, “इतनी सफलता के बाद नाम क्यों बदला?” मैं  मुस्कुराकर जवाब देती हूं- “क्योंकि यह नाम शोहरत के लिए नहीं था, यह मेरी माँ के एक खामोश सपने की पूर्ति थी।” अब जब कोई ‘आयशा’ कहता है, तो वह सिर्फ एक नाम नहीं लगता। आयशा बताती हैं, “वो माँ की पुकार जैसा लगता है — ‘आशा सा’। ये नाम मैंने अपनी माँ को समर्पित किया है, जो मेरे साथ ता-उम्र रहेंगी।