Bihar News: पटना में हुई बिहार शिशु हड्डी रोग सोसाइटी की पहली बैठक, बच्चों की हड्डी संबंधी बीमारियों का अब आसानी से होगा इलाज
Bihar News: पटना में पहली बार बिहार शिशु हड्डी रोग सोसाइटी की पहली बैठक की गई है। इस बैठक में बच्चों की हड्डी संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए जागरुकता को बढ़ाने और विशेषज्ञ इलाज उपलब्ध कराने को लेकर चर्चा हुई।

Bihar News: पारस अस्पताल पटना में प्रो. (डॉ.) जॉन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में बिहार शिशु हड्डी रोग सोसाइटी (Paediatric Orthopaedic Society of Bihar) की पहली बैठक का आयोजन किया गया। यह सोसाइटी बिहार सरकार द्वारा पंजीकृत और स्थापित की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में हड्डी से संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विशेषज्ञ इलाज उपलब्ध कराना है।
बिहार शिशु हड्डी रोग सोसाइटी की पहली बैठक
बता दें कि, इस सोसाइटी की पहल से 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में जन्मजात और आहारजनित हड्डी विकृतियों के उपचार को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ावा मिलेगा। बचपन में अनदेखी रह जाने वाली हड्डी की समस्याएं आगे चलकर किशोरावस्था और युवावस्था में गंभीर रोग का कारण बन सकती हैं, जिन्हें रोकने में यह सोसाइटी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
विशेषज्ञों की टीम का गठन
बैठक में सोसाइटी के पदाधिकारियों की घोषणा भी की गई। जिसके तहत अध्यक्ष: प्रो. (डॉ.) जॉन मुखोपाध्याय, उपाध्यक्ष: प्रो. (डॉ.) रितेश ए. पांडेय (एम्स, पटना), संयुक्त सचिव एवं संपादक: डॉ. शशिकांत कुमार (पीएमसीएच), संयुक्त सचिव: डॉ. जसविंदर सिंह (पारस अस्पताल), कोषाध्यक्ष: डॉ. जानकी शरण भदानी (पारस अस्पताल) और सचिव: प्रो. (डॉ.) रितेश रुनु (आईजीआईएमएस) को बनाया गया।
समय पर देखभाल से होगा भविष्य सुरक्षित
प्रो. मुखोपाध्याय ने बैठक में कहा कि बचपन में हड्डियों की सही देखभाल न सिर्फ एक बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बनाती है, बल्कि समाज और राष्ट्र को भी मजबूत करती है। जन्मजात दोषों, पोषण की कमी और चोटों से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए यह सोसाइटी एक समर्पित मंच प्रदान करेगी। इस पहल को राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जिससे न केवल चिकित्सकों को विशेषज्ञता साझा करने का अवसर मिलेगा। बल्कि बच्चों को समय पर उचित और आधुनिक उपचार भी सुलभ होगा।