Patna highcourt - बिना सहमति किडनी हटा दिया! 22 साल बाद आरोपी बनाई गई महिला डॉक्टर को लेकर पटना हाईकोर्ट ने दिया फैसला
Patna highcourt - 22 साल पुराने किडनी हटाने को लेकर पीड़ित की शिकायत पर पटना हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। मामले में एक महिला डॉक्टर पर आरोप लगा था।

Patna - पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में चिकित्सकीय लापरवाही से जुड़ी एक आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए महिला डॉक्टर के विरुद्ध सभी आपराधिक कार्यवाहियों को रद्द कर दिया है।जस्टिस चंद्र शेखर झा ने 23 फरवरी 2024 को पारित सत्र न्यायाधीश-X, पटना के आदेश को निरस्त करते हुए यह निर्णय सुनाया।
ये मामला वर्ष 2003 का है, जब शिकायतकर्ता सतीश कुमार ने पेट दर्द एवं चायलूरिया की शिकायत पर डॉ. शैलेश कुमार सिन्हा से इलाज कराया। इलाज के दौरान ऑपरेशन किया गय,जिसके बाद शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उनकी दाहिनी किडनी बिना सहमति के हटा दी गई।
इस ऑपरेशन में डॉ. शैलेश कुमार सिन्हा की पत्नी डॉ. ममता सिन्हा भी एक सहायक टीम सदस्य के रूप में मौजूद थीं, जिस आधार पर उन्हें भी अभियुक्त बनाया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर ने कोर्ट को तर्क दिया कि डॉ. ममता सिन्हा एक स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं और उनके विरुद्ध लगाए गए आरोप निराधार हैं।
उन्होंने न तो ऑपरेशन किया और न ही उनकी भूमिका किडनी से संबंधित किसी प्रक्रिया में थी। इससे पहले राज्य उपभोक्ता आयोग ने यह निर्णय दिया था कि शिकायतकर्ता की किडनी निकाली नहीं गई थी, बल्कि वह जन्मजात या बाद में सिकुड़ कर लुप्तप्राय हो गई थी।
चंडीगढ़ मेडिकल बोर्ड ने दिया था यह निर्देश
वर्ष 2016 में पी.जी.आई.एम.ई.आर., चंडीगढ़ की मेडिकल बोर्ड रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट किया गया कि शिकायतकर्ता की दाहिनी किडनी शारीरिक रूप से मौजूद थी,किंतु अत्यंत संकुचित एवं कार्यशील नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता डॉ. ममता सिन्हा के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष आरोप नहीं है, सिवाय इसके कि वह ऑपरेशन थियेटर में उपस्थित थीं।कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आधार पर उनके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाना न्यायहित में नहीं है।