Bihar police - सीएम नीतीश की राह पर बिहार पुलिस, बढ़ते अपराध पर की 2004 से तुलना, कहा, पहले हजार किडनैंपिंग के आते थे मामले, अब दो डिजीट में सिमटा

Bihar police - बिहार में क्राइम के आंकड़ों मे बढ़ोतरी को लेकर तेजस्वी यादव को डीजीपी विनय कुमार ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि 2004 की तुलना में एक तिहाई हत्या के मामले कम हो गए हैं. जबकि आबादी में 50 परसेंट की वृद्धी हुई है।

Bihar police - सीएम नीतीश की राह पर बिहार पुलिस, बढ़ते अपराध

Patna - बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने कहा कि एक भी हत्या समाज के लिए असहनीय है और यह पूरी तरह अवांछनीय (undesirable) घटना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को जीने का अधिकार है और उसकी हत्या समाज के लिए गहरा दुःख लेकर आती है।

डीजीपी ने आंकड़ों के आधार पर बताया कि 2004 में बिहार में लगभग 3688 हत्याओं की घटनाएं दर्ज की गई थीं। उस समय प्रदेश की आबादी लगभग 7 से 8 करोड़ थी। जबकि आज की तारीख में आबादी बढ़कर 14 से 15 करोड़ हो चुकी है और आर्थिक गतिविधियां व भूमि विवाद जैसे कारण भी बढ़े हैं। इसके बावजूद 2024 में हत्याओं की संख्या में 1200 की कमी आई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।

विनय कुमार ने यह भी कहा कि फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं, जो पहले 500 से 1000 तक होती थीं, अब घटकर डबल डिजिट यानी 25-30 के आसपास रह गई हैं। डकैती की घटनाओं में भी काफी कमी आई है। जहां पहले 1200 से 1500 डकैती होती थीं, अब यह संख्या घटकर 150-200 के बीच रह गई है। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि एक समय ट्रेन और बस यात्रा में लोग डकैती के डर से परेशान रहते थे। उन्होंने पलामू एक्सप्रेस का जिक्र करते हुए बताया कि इसे कभी "डकैती एक्सप्रेस" कहा जाता था क्योंकि पटना से गया के बीच इसे दो-दो बार लूटा जाता था।

डीजीपी ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि बिहार में हत्या जैसी घटनाएं पूरी तरह समाप्त हों और समाज में शांति और सुरक्षा की भावना और मजबूत हो। बिहार डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि लंबित मामलों के निष्पादन और गंभीर कांडों के त्वरित विचारण हेतु जिलों में 02 से 05 फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने के लिए पुलिस मुख्यालय  द्वारा राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है ।

वहीं पुलिस पदाधिकारी /कर्मियों आरएमएस पर डाटा बेस तैयार किया गया है। साथ ही कांडों के निष्पादन और आरोपियों के सजा दिलाने में चिकित्सकों के लिए मेडिलियर पर डाटा बेस भी तैयार किया जा रहा है ।ता कि इससे उन्हें लोकेट कर उनकी गवाही समय पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में इससे गंभीर कांडों के आरोपितों को सजा दिलाने में मदद मिल सकती है। डीजीपी ने बताया कि किसी भी केस में आईओ की एक अहम भूमिका उनकी गवाही में होती है। ऐसे में दो बार से अधिक सूचना दिए जाने पर भी आईओ उपस्थित नहीं होते हैं तो पदाधिकारी और पुलिसकर्मी का वेतन धारित किया जाता है। 

पुनः उनके गवाही देने के उपरांत गवाही का प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाने पर वेतन धारित मुक्त किए जाते है ।वर्ष 2025 में जनवरी माह से अप्रैल तक 17207 पुलिस पदाधिकारी /कर्मी, 3318 चिकित्सक व 49515 अन्य साक्षियों को न्यायालय में उपस्थित करा लंबित मामलों का निष्पादन किया जा सका है ।

पटना से अनिल की रिपोर्ट