Bihar government Road Policy:बिहार में सड़क मरम्मत का नया नियम, अब सड़क बनाने वाली एजेंसी 7 साल तक करेगी मरम्मत, लापरवाही पर सीधी कटौती

Bihar government Road Policy: शहरी सड़कों, स्टेट हाईवे और जिला मुख्य सड़कों की मरम्मत की व्यापक योजना तैयार की गई है। अब सड़कों की मरम्मत वही एजेंसी करेगी, जिसे उस सड़क की सात साल तक निगरानी और देखरेख की ज़िम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। ...

Bihar government Road Policy
अब सड़क बनाने वाली एजेंसी 7 साल तक करेगी मरम्मत- फोटो : social Media

Bihar government Road Policy:बिहार सरकार ने शहरी सड़कों के रख-रखाव को लेकर अपनी  नीति में बड़ा और दूरगामी बदलाव पेश किया है। पथ निर्माण विभाग की नई मरम्मत नीति ओपीआरएमसी-3 (दीर्घकालीन निष्पादन एवं उपलब्धि आधारित पथ आस्ति अनुरक्षण संविदा) तहत अब सड़कों की मरम्मत वही एजेंसी करेगी, जिसे उस सड़क की सात साल तक निगरानी और देखरेख की ज़िम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। यानी अब सड़क बनेगी भी, सुधरेगी भी, और टूटे तो जवाबदेही भी उसी एजेंसी की होगी। यह नीति जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजी जा रही है।

नई व्यवस्था के तहत 19 हज़ार किमी से अधिक शहरी सड़कों, स्टेट हाईवे और जिला मुख्य सड़कों की मरम्मत की व्यापक योजना तैयार की गई है। विभाग ने इस महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर लगभग 23 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करने का ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जो पहले लागू हुई ओपीआरएमसी-2 नीति से लगभग चार गुना अधिक है। इस बार कुल 19,360.674 किमी सड़कें मरम्मत दायरे में लाई जाएंगी, जिनमें से 14,225.398 किमी पहले से चालू हैं और 5,135.276 किमी को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी जा चुकी है।

सबसे दिलचस्प पहलू है इस बार मरम्मत का काम 100 पैकेजों में बांटा जाएगा और कुल सौ एजेंसियों का चयन होगा। कोई भी एजेंसी एक से अधिक पैकेज संभाल सकेगी, बशर्ते उसकी क्षमता और प्रदर्शन सियासी व प्रशासनिक कसौटी पर खरे उतरें। विभाग का मक़सद है कि मरम्मत प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों एक साथ सुनिश्चित हों।

नई नीति एजेंसियों पर लगाम कसने के लिए बेहद सख़्त प्रावधान भी लेकर आई है। सात साल की अवधि में यदि गुणवत्ता में ढिलाई हुई या निर्धारित मानकों का पालन नहीं हुआ तो एजेंसी की 40% तक राशि काट ली जाएगी, जिसे विभाग ने ‘दंडात्मक कटौती’ का नाम दिया है। यह स्पष्ट संदेश है कि अब सड़क निर्माण महज़ ठेका नहीं, बल्कि सात साल की ‘अमानत’ होगी।

मरम्मत अवधि में एजेंसियों को सड़क का एक बार अतिरिक्त कालीकरण (री-न्यूनल) अनिवार्य रूप से करना होगा। सिर्फ गड्ढे भर देना अब काफ़ी नहीं होगा—सड़कों की चिकनाई, सतह की सुरक्षा, किनारों की स्थिरता और निरंतर निगरानी को प्राथमिकता देनी होगी। विभाग की इस सख़्त और दूरदर्शी नीति से उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार की शहरी सड़कें अब मौसमी क्षरण, उपेक्षा और मानकहीन मरम्मत की पुरानी बीमारी से निजात पा सकेंगी।