लालू यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट को एनडीए ने दी रफ्तार, 16 साल बाद बिहारीगंज-कुर्सेला रेल लाइन का DPR तैयार, इतने करोड़ की राशि मंजूर
16 साल बाद लालू यादव की ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा होने जा रहा है। कोसी और सीमांचल के पिछड़े इलाकों को रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित बिहारीगंज-कुर्सेला नई रेल परियोजना के धरातल पर उतरने का रास्ता अब साफ होता दिख रहा है।
Patna - कोसी और सीमांचल के पिछड़े इलाकों को रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली बहुप्रतीक्षित बिहारीगंज-कुर्सेला नई रेल परियोजना के धरातल पर उतरने का रास्ता अब साफ होता दिख रहा है। 57.35 किलोमीटर लंबी इस लाइन का डीपीआर (DPR) तैयार कर लिया गया है और रेलवे बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 170.8 करोड़ रुपये की राशि भी आवंटित कर दी है।
महंगाई के कारण रिवाइज हो रहा 16 साल पुराना एस्टीमेट
पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ (CPRO) सरस्वती चंद्र के अनुसार, डीपीआर बन चुका है, लेकिन निर्माण लागत, लेबर कॉस्ट और जमीन के सर्किल रेट में बढ़ोतरी के कारण पुराने बजट को रिवाइज किया जा रहा है। रिवाइज्ड एस्टीमेट बनते ही इसे नीति आयोग भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि तीन महीने पहले ही कोलकाता की एक निजी एजेंसी ने ट्रैक डिजाइनिंग और सर्वे का काम पूरा किया है।
इन इलाकों से गुजरेगी ट्रेन (रूट मैप)
यह रेल लाइन मधेपुरा, पूर्णिया और कटिहार के सुदूर दियारा क्षेत्रों के लिए 'लाइफलाइन' साबित होगी। जिसका रूट मधेपुरा के बिहारीगंज से शुरू होकर पूर्णिया के धमदाहा, माधोपुर, सिरसा, कसमरा, दुर्गापुर, रूपौली, धूसर टीकापट्टी होते हुए कटिहार के कुर्सेला तक होगा। प्रस्तावित नक्शे के मुताबिक, इस रूट पर 3 स्टेशन, 4 हॉल्ट, 74 पुल और 47 समपार फाटक (Level Crossings) बनाए जाएंगे।
किसानों को मिलेगा बड़ा बाजार
इस रेल लाइन के बनने से पूर्णिया और कटिहार के दियारा क्षेत्र के किसानों को सीधा फायदा होगा। यहाँ बड़े पैमाने पर मक्का, गेहूं, पाट (जूट) और गन्ना की खेती होती है। ट्रेन सुविधा होने से किसानों को अपनी फसल बड़े बाजारों तक पहुंचाने में आसानी होगी और उन्हें सही दाम मिल सकेगा।
2009 में लालू यादव ने रखी थी नींव
इस परियोजना का इतिहास काफी पुराना है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने 2008-09 के रेल बजट में इसे पास किया था और 7 फरवरी 2009 को रूपौली में इसका शिलान्यास किया था। उस समय इसके लिए 192.56 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए थे, लेकिन 16 साल बीत जाने के बाद भी यह प्रोजेक्ट अधूरा था। अब नई राशि आवंटन से लोगों में उम्मीद जगी है।