Chhath mahaparv - यूनेस्को की सांस्कतिक विरासत में शामिल होगा बिहार का ऐतिहासिक छठ महापर्व, केंद्र सरकार ने शुरू की पहल
Chhath maharparv - बिहार के ऐतिहासिक छठ महापर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया जाएगा। इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।

Patna : बिहार और देश-विदेश में बसे पूर्वांचलियों के महापर्व छठ को अब वैश्विक पहचान मिलने जा रही है। केंद्र सरकार ने इस महापर्व को यूनेस्को (UNESCO) की विश्व सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल करने के लिए पहल शुरू कर दी है। बिहार विधानसभा चुनाव से एनडीए सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिसका प्रभाव बिहार चुनाव में देखने को मिलेगा।
संस्कृति मंत्रालय ने भेजा प्रस्ताव
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने छठ महापर्व को यूनेस्को की 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' (Intangible Cultural Heritage) सूची में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इस सूची में पहले से ही कुंभ मेला, दुर्गा पूजा, योग और नवरोज जैसे भारतीय पर्व शामिल हैं। अगर छठ को भी इस सूची में जगह मिलती है, तो यह बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।
लोक आस्था का महापर्व: छठ
छठ पूजा, मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का पर्व है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रती कठोर तपस्या और शुद्धता के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान वे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह पर्व न केवल बिहार बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
छठ पूजा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह पर्व प्रकृति के प्रति सम्मान, साफ-सफाई और सामाजिक समरसता का संदेश देता है। इसमें ऊंच-नीच, जात-पात का कोई भेदभाव नहीं होता और सभी लोग एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं।
विश्व पटल पर पहचान
इस पहल से छठ पूजा को न केवल अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी, बल्कि इसके संरक्षण और संवर्धन में भी मदद मिलेगी। यूनेस्को की सूची में शामिल होने से इस पर्व की विशिष्टता और वैज्ञानिक महत्व को भी दुनिया के सामने रखा जा सकेगा।