IAS News: अरबपति बिहारी IAS को योगी ने कर दिया सस्पेंड, UPSC में 8वां रैंक लाकर रौशन किया था नाम
IAS News: अरबपति बिहारी IAS को पैसों का चस्का ऐसा लगा कि उन्होंने सरकार के लिए सेवा देते हुए करोड़ों की उगाही कर ली।

IAS News: यूपीएससी में 8वां रैंक लाकर अपने गांव का नाम देश भर में ऊंचा करने वाले IAS को योगी सरकार ने निलंबित कर दिया है। निलंबित IAS बिहार के रहने वाले हैं और यूपी में सेवा देते हुए करोड़ों की उगाही किए हैं। आइए जानते आखिरी पूरा मामला क्या है? दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2006 बैच के आईएएस अधिकारी और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश को भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में निलंबित कर दिया है। वे औद्योगिक विकास विभाग के सचिव के पद पर भी कार्यरत थे। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और भूमि घोटालों में संलिप्तता के आरोपों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है।
यूपीएससी टॉपर से निलंबन तक का सफर
बिहार के रहने वाले अभिषेक प्रकाश ने 2006 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 8वीं रैंक हासिल की थी। आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री पूरी की थी। अपने करियर की शुरुआत नागालैंड कैडर में की, लेकिन बाद में यूपी कैडर में ट्रांसफर हो गए। लखनऊ में डीएम रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया, लेकिन अब वे भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गए हैं।
घूसखोरी का मामला- 5% कमीशन की मांग का आरोप
अभिषेक प्रकाश पर आरोप है कि उन्होंने एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड की परियोजना को मंजूरी देने के लिए 5% कमीशन की मांग की थी। कंपनी ने यूपी इन्वेस्ट के तहत "लेटर ऑफ कम्फर्ट" के लिए आवेदन किया था, लेकिन कमीशन का भुगतान न होने पर मंजूरी में देरी की गई। 20 मार्च को एसएईएल सोलर के विश्वजीत दत्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। दत्ता का आरोप था कि मध्यस्थ निकांत जैन ने अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर उनसे कमीशन मांगा।
मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच में खुलासा
शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची, जिसके बाद एसटीएफ को जांच के आदेश दिए गए। कई अधिकारियों भ्रष्ट आईएएस को बचाने की कोशिश भी कर रहे थे लेकिन सीएम योगी की सख्त निर्देश के बाद जांच में तेजी आई। फाइलों की समीक्षा और अधिकारियों से पूछताछ में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई। इसके बाद लखनऊ के गोमती नगर थाने में निकांत जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
संपत्ति का खुलासा- 700 बीघा जमीन और करोड़ों का घोटाला
जांच के दौरान अभिषेक प्रकाश की अवैध संपत्तियों का भी खुलासा हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने अपने कार्यकाल में लखीमपुर और बरेली में 700 बीघा जमीन खरीदी और लखनऊ में कई आलीशान बंगले बनवाए। इतना ही नहीं, उन पर ब्रह्मोस मिसाइल फैक्ट्री भूमि सौदे में 20 करोड़ रुपये के घोटाले में भी शामिल होने का आरोप है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में उपाध्यक्ष रहते हुए भी उन पर बिल्डरों को लाभ पहुंचाने और फाइलों में हेरफेर करने के आरोप लगे थे।
निकांत जैन ने उगला सच, कई बड़े नाम जांच के घेरे में
वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट आईएएस के लिए बिचौलिया के रुप में काम करने वाले निकांत जैन से भी पुलिस की पूछताछ चल रही है। निकांत जैन की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में उसने अभिषेक प्रकाश के साथ मिलीभगत की बात कबूल कर ली। शुरुआत में निकांत पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन कॉल डिटेल्स दिखाए जाने के बाद वह टूट गया और सच उगलने लगा। सूत्रों के मुताबिक, निकांत ने पूछताछ में कई बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम भी बताए हैं, जो इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं। अब इन नामों की भी जांच की जा रही है।
दफ्तर से बरामद हुईं फाइलें, विजिलेंस और ईडी जांच की तैयारी
पुलिस ने निकांत जैन के विराट खंड स्थित कार्यालय में छापेमारी की और वहां से कई फाइलें बरामद कीं। फाइलों में विभिन्न कंपनियों से बड़े लेन-देन के दस्तावेज मिले हैं। अब विजिलेंस और ईडी भी इस मामले की जांच में शामिल हो सकती हैं। कार्यालय को फिलहाल सील कर दिया गया है, ताकि एजेंसियों द्वारा छानबीन की जा सके।
कोरोना काल में बढ़ी थी अभिषेक-निकांत की नजदीकी
सूत्रों के अनुसार, कोरोना काल के दौरान अभिषेक प्रकाश की निकांत जैन से नजदीकी बढ़ी थी। इसके बाद निकांत कई बड़े अधिकारियों और उद्योगपतियों के संपर्क में आ गया। वह बड़े ठेकों और डील में बिचौलिया बनने लगा। सोलर प्रोजेक्ट के लिए उसने उद्योगपति से कमीशन की मांग की थी। पहले छोटी रकम की डील हुई तो मामला नहीं बिगड़ा, लेकिन जब निकांत ने रकम बढ़ानी शुरू की तो उद्योगपति ने शिकायत दर्ज करा दी।