Bihar New Kendriya Vidyalaya: बिहार को मिले 19 नए केंद्रीय विद्यालय,केंद्र सरकार का बड़ा ऐलान, 16 जिलों में जलेगी शिक्षा की नई रौनक

बिहार के 16 जिलों में 19 नये केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी देकर केंद्र ने साफ़ कर दिया है कि अब शिक्षा भी विकास की मुख्य धारा का हिस्सा बनकर आगे बढ़ेगी।

Bihar New Kendriya Vidyalaya
बिहार को मिले 19 नए केंद्रीय विद्यालय- फोटो : social Media

Bihar New Kendriya Vidyalaya: केंद्र सरकार ने आखिरकार वह बड़ा फ़ैसला ले लिया जिसकी इंतजार में बिहार की शिक्षा की सियासत महीनों से तप रही थी। राज्य के 16 जिलों में 19 नये केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी देकर केंद्र ने साफ कर दिया है कि अब शिक्षा भी विकास की मुख्य धारा का हिस्सा बनकर आगे बढ़ेगी। सूबे की नीतीश सरकार ने 14 जिलों में 17 केन्द्रीय विद्यालयों के लिए ज़मीन चिह्नित कर प्रस्ताव भेजा था, जिसे केंद्र ने लगभग पूरी तरह मंज़ूर करते हुए अपने स्तर पर दो और प्रस्ताव जोड़ दिए। आईटीबीपी ने कटिहार में और एसएसबी ने सीतामढ़ी में एक-एक केवी खोलने की दरख़्वास्त की थी, जिसे केंद्र ने भी स्वीकार कर लिया। यह कदम न सिर्फ़ तालीमी हालात को बेहतर करेगा बल्कि यह दिखाता है कि सुरक्षा बलों को भी अपने जवानों और स्थानीय आबादी की शिक्षा की चिंता बराबर है।

अभी बिहार में 53 केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, लेकिन नये स्कूलों के खुलने के बाद राज्य में कुल संख्या 72 तक पहुँच जाएगी। यह किसी भी सूबे के लिए तालीमी इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इज़ाफ़ा माना जाता है। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने इन विद्यालयों के लिए निःशुल्क ज़मीन उपलब्ध करवाई है और तत्काल संचालन के लिए अस्थायी भवन भी चिन्हित कर दिए गए हैं। यह कदम बताता है कि राज्य सरकार भी इस मुद्दे पर केंद्र के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को तैयार है, ताकि जनता के बीच शिक्षा को लेकर कोई सियासी गलतफहमी न जन्म ले।

बिहार के कई ज़िले मधुबनी, शेखपुरा, कैमूर, अरवल और मधेपुरा ऐसे थे जहां एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं था। नए फैसले ने इन इलाकों की तालीमी तन्हाई को दूर करने की कोशिश की है। 14 ज़िलों में से पटना, नालंदा और मधुबनी में दो-दो नये केवी खोलने की मंज़ूरी मिली है, जबकि मुंगेर, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, भोजपुर, गया, भागलपुर, कैमूर, मधेपुरा, शेखपुरा, दरभंगा और अरवल में एक-एक विद्यालय की स्थापना होगी। विशेष तौर पर राजधानी पटना में केन्द्रीय विद्यालयों की संख्या अब पांच से बढ़कर सात हो जाएगी, जिससे यहाँ की शहरी आबादी, प्रवासी परिवार और सरकारी कर्मियों को बड़ी राहत मिलेगी।

कुल मिलाकर यह फैसला न सिर्फ़ शिक्षा, बल्कि विकास, प्रशासन और जनता के भरोसे की राजनीति में भी नया संदेश देता है कि तालीम के मैदान में बिहार अब पीछे नहीं रहेगा।