Patna News:BPSC पेपर लीक मामले में डीएसपी रंजीत रजक फिर निलंबित, हैंडराइटिंग जांच के लिए FSL को भेजी गई उत्तर पुस्तिका, काबिलियत की जगह जुगाड़ का बोलबाला?

Patna News: पेपर लीक कांड में बड़ा मोड़ आ गया है। पेपर लीक के आरोपित डीएसपी रंजीत रजक को फिर से निलंबित कर दिया है। निलंबित डीएसपी रंजीत रजक की उत्तर पुस्तिका FSL जांच के लिए भेज दी गई है।

Suspanded DSP Ranjit Rajak
नकल, रसूख और साजिश- फोटो : social Media

Patna News:बिहार के बहुचर्चित BPSC पेपर लीक कांड में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। इस बार जांच की आंच सीधे निलंबित डीएसपी रंजीत रजक तक पहुंच गई है। आर्थिक अपराध इकाई  की जांच के दायरे में आए रंजीत रजक पर अब गंभीर संदेह और गहरा हो गया है।वहीं बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा पेपर लीक के आरोपित डीएसपी रंजीत कुमार रजक फिर निलंबित कर दिए गए हैं। गृह विभाग (आरक्षी शाखा) ने सोमवार को इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी। दरअसल, डीएसपी रजक को करीब एक माह पहले ही निलंबन मुक्त किया गया था। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय बिहार पुलिस मुख्यालय के अधीन रहेगा और उनको मात्र जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा।

अब मामला केवल आरोपों तक सीमित नहीं रह गया है—एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) ने स्वयं इओयू  से रंजीत रजक की बीपीएससी मेंस परीक्षा से संबंधित सूचनाएं और दस्तावेज मांगे हैं। जांच का फोकस अब रंजीत रजक की उत्तर पुस्तिका  पर है, जिसे हैंडराइटिंग जांच के लिए एफएसएल को सौंपा गया है।

सूत्रों के मुताबिक, यह आशंका जताई जा रही है कि रंजीत रजक ने किसी और से अपनी कॉपी लिखवाई हो सकती है या फिर उत्तर पुस्तिका के साथ छेड़छाड़ की गई हो। हैंडराइटिंग का मिलान इस गुत्थी को सुलझाने की कुंजी बन सकता है। एफएसएल के एक्सपर्ट्स अब कॉपी की बारीकियों को खंगाल रहे हैं—हर अक्षर, हर लाइन, हर निशान को एक-एक करके परखा जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासनिक गलियारों में सनसनी फैला दी है। पहले ही निलंबित चल रहे रंजीत रजक को अब दोबारा निलंबन का सामना करना पड़ा है, जो यह संकेत देता है कि जांच एजेंसियों के हाथ कुछ ठोस सुराग लग चुके हैं।इओयू और एफएसएल की संयुक्त जांच से यह मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। अगर हैंडराइटिंग जांच में रंजीत रजक की संलिप्तता साबित होती है, तो यह न सिर्फ बीपीएससी की विश्वसनीयता को करारा झटका होगा, बल्कि यह बिहार की पूरी प्रशासनिक प्रणाली के लिए शर्मनाक सवाल भी खड़े करेगा।

रिपोर्ट- अनिल कुमार