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Bihar News : वन और पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने की समीक्षा बैठक, आर्द्रभूमि के संरक्षण सहित कई मुद्दों पर की गयी चर्चा

Bihar News : बिहार सरकार के मंत्री प्रेम कुमार ने विभागीय समीक्षा बैठक की. जिसमें उन्होंने अधिकारियों को कई निर्देश दिए. बैठक में आर्द्रभूमि के संरक्षण सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गयी...पढ़िए आगे

Bihar News : वन और पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने की समीक्षा बैठक, आर्द्रभूमि के संरक्षण सहित कई मुद्दों पर की गयी चर्चा
विभागीय समीक्षा बैठक - फोटो : VANDANA

PATNA : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री डॉ० प्रेम कुमार की अध्यक्षता में अरण्य भवन स्थित कार्यालय कक्ष में विभागीय कार्यों की समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गयी। बैठक में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (HoFF), बिहार / अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-निदेशक, हरियाली मिशन, बिहार/मुख्य वन संरक्षक (कैम्पा)-सह-नोडल पदाधिकारी (वन संरक्षण), बिहार/निदेशक, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण, पटना/ मुख्य वन संरक्षक, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन एवं आर्द्रभूमि, बिहार/वन संरक्षक, वन्यप्राणी अंचल, पटना/निदेशक, संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना एवं सचिवालय की ओर से विशेष सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार/ संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार एवं अन्य पदाधिकारी शामिल हुए।

ऐसी आर्द्रभूमि क्षेत्र, जो जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। उन महत्वपूर्ण स्थलों को रामसर संधि के तहत रामसर स्थल के रूप में घोषित किया जाता है ताकि उनका संरक्षण एवं विकास किया जा सके। रामसर साईट घोषित होने के उपरान्त उक्त साईट के संरक्षण एवं विकास हेतु राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय सहयोग मिलता है, जिसमें आस-पास के ग्रामीणों को सुगमता से आजीविका / रोजगार प्राप्त होते हैं। बेगूसराय वन प्रमण्डल अन्तर्गत काँबरताल आर्द्रभूमि वर्ष 2020 में रामसर साईट के रूप में घोषित किया गया है। वर्ष 2024 में जमुई वन प्रमण्डल अन्तर्गत स्थित नागी एवं नकटी पक्षी आश्रयणियों को भी रामसर साईट के रूप में घोषित किया गया है। वर्तमान में राज्य में कुल 03 आर्द्रभमियों को रामसर साईट के रूप में घोषित किया गया है एवं 03 अन्य आर्द्रभूमि यथा-उदयपुर झील (बेतिया), गोगाबील (पूर्णियाँ) एवं गोकुल जलाशय (भोजपुर) को रामसर साईट के रूप में घोषित किये जाने का प्रस्ताव मंत्री के अनुशंसा उपरान्त भारत सरकार को भेजा गया है। आर्द्रभूमियों (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के अनुसार राज्य के विभिन्न जिलों में अवस्थित प्रमुख 216 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त दस्तावेज, स्वास्थ्य रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है। उक्त आर्द्रभूमियों का संरक्षण एवं विकास कार्य केन्द्र / राज्य योजना के तहत किया जा रहा है। आर्द्रभूमि के संरक्षण एवं उनके आस-पास जन जागरूकता लाने के लिये 680 वेटलैंड मित्र बनाये गये है तथा उनको प्रशिक्षित करने हेतु राज्य स्तर पर प्रशिक्षण दिये जाने का निर्णय लिया गया है। बिहार राज्य आर्द्रभूमि शोध एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना किये जाने का निर्णय बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के द्वारा लिया गया है। गोकुल जलाशय का समेकित प्रबंधन योजना स्वीकृत की गयी है जिसके अंतर्गत 32.483 करोड़ रूपये की लागत से 2027-28 तक इसे विकसित किया जाना है। राज्य के 4500 आर्द्रभूमि का Groundtruthing हेतु Mobile App विकसित किया जा रहा है।

मंत्री द्वारा बताया गया कि बिहार में कुल लगभग 4500 आर्द्रभूमियाँ अवस्थित हैं एवं आर्द्रभूमि हमें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ कृषि, मत्स्य पालन जैसे-जीविकोपार्जन गतिविधियों में सहयोग प्रदान करता है। बिहार सरकार आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए प्रतिबद्ध है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। अतः राज्य में रहने वाले कृषि एवं मत्स्य पालन पर आधारित लोगों को आर्द्रभूमि संरक्षण से जीविकोपार्जन हेतु भिन्न-भिन्न तरह के अवसर मिलने की संभावना है, जिससे लोग अपने को और आत्मनिर्भर बनाने में सक्षम साबित हो सकते है। सरकार द्वारा वर्तमान में चल रहे प्रगति यात्रा के दौरान यथा मुख्यमंत्री, बिहार द्वारा आर्द्रभूमियों के संरक्षण एवं विकास तथा ईको पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु कहा गया है, तद्नुसार सरकार द्वारा वैशाली जिला स्थित बरैला झील हेतु रू. 28.65 करोड़, कटिहार जिला स्थित गोगाबील आर्द्रभूमि के विकास हेतु रू. 10.23 करोड़ एवं बेगूसराय जिला अन्तर्गत कॉवरताल आर्द्रभूमि हेतु रू. 22.36 करोड़ रूपया का स्वीकृति दिया गया।

मंत्री द्वारा आर्द्रभूमि मित्रों के साथ रूबरू होते हुए बक्सर जिला अन्तर्गत गोकुल जलाशय, बेगूसराय स्थित कॉवरताल, समस्तीपुर अन्तर्गत देवखल चौर, कटिहार अन्तर्गत गोगाबील तथा वैशाली जिला अन्तर्गत बरैला झील सहित कई आर्द्रभूमियों के वस्तु स्थिति के संबंध में जानकारियां प्राप्त किया। साथ ही मंत्री द्वारा निदेश दिया गया है कि विभाग द्वारा पूरे राज्य में पर्यावरण संवाद का आयोजन शुरू होगा। साथ ही साथ प्रमुख आर्द्रभूमि जैस गोगाबील. गोकूल जलाशय, कॉवरताल एवं बरैला झील में पहुंच कर जन संवाद का आयोजन कर सरकार के प्रयासों में जन भागीदारी को बढ़ावा दिया जाय।

वंदना की रिपोर्ट

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