Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में 13 वीं बार किस्मत आजमां रहे हरिनारायण, 9 बार जीत का बंधा सेहरा, दसवीं बार सीएम नीतीश के लिए जीत बनी प्रतिष्ठा
Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा के चुनाव में हरिनारायण 9 बार जीत हासिल कर चुके हैं. दसवी बार जीत के लिए चुनावी मैदान में हैं.......पढ़िए आगे
PATNA : बिहार की राजनीति में हरनौत विधानसभा क्षेत्र का एक विशेष महत्व है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पैतृक गांव कल्याणबिगहा का क्षेत्र है। इस सीट से उनके दल जनता दल यूनाइटेड (JDU) के दिग्गज नेता हरिनारायण सिंह 2025 के चुनाव में तेरहवीं बार चुनावी समर में हैं। अगर वह इस बार दसवीं बार जीत हासिल करने में सफल होते हैं, तो हरिनारायण सिंह सूबे के इकलौते राजनेता बन जाएंगे जिनके नाम यह अभूतपूर्व रिकॉर्ड दर्ज होगा। चूंकि यह सीट सीधे तौर पर मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा और मान-सम्मान से जुड़ी है, इसलिए स्थानीय मतदाता भी इसे भावनात्मक रूप से देखते हैं।
विपक्ष की एकजुट चुनौती
हरिनारायण सिंह की लगातार जीत के बावजूद, यह सीट विपक्ष के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। महागठबंधन की तमाम पार्टियां — राष्ट्रीय जनता दल (RJD), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), और कांग्रेस — तरह-तरह के प्रयोग करके थक चुकी हैं, लेकिन वे अभी तक नीतीश खेमे के प्रत्याशी की जड़ हिलाने में नाकामयाब रही हैं। इस बार फिर से कांग्रेस ने अरुण कुमार को टिकट देकर मुख्यमंत्री की 'मांद' में घुसने का अथक प्रयास शुरू किया है। अरुण कुमार इससे पहले वर्ष 2010 और 2015 में लोजपा के टिकट पर हरिनारायण सिंह को चुनौती दे चुके हैं। विपक्ष की एकजुटता और मतदाताओं के बढ़े जोश से यह साफ है कि हरिनारायण सिंह के लिए दसवीं जीत चुनौतियों से भरी होगी।
1977 से जारी है राजनीतिक सफर
हरिनारायण सिंह का राजनीतिक सफर वर्ष 1977 में शुरू हुआ, जब महान समाजसेवी रामराज प्रसाद सिंह के बीमार होने के कारण उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर पहली जीत दर्ज की। हालाँकि, 1980 के अगले चुनाव में रामराज प्रसाद सिंह की वापसी ने उन्हें उपविजेता बनने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद, रामराज प्रसाद सिंह के बेटे अनिल सिंह के साथ हरिनारायण सिंह की बारी-बारी से जीत-हार का सिलसिला चलता रहा। 1983 के उपचुनाव में हरिनारायण सिंह जीते, तो 1985 में चंडी विधानसभा (जो बाद में हरनौत में शामिल हुई) से अनिल सिंह ने जीत दर्ज की। 1990 में हरिनारायण सिंह विजेता रहे, और 1995 में अनिल सिंह ने उन्हें पछाड़ दिया।
नीतीश कुमार के वर्चस्व का दौर
वर्ष 1985 में इसी हरनौत विधानसभा क्षेत्र से नीतीश कुमार ने पहली दफा विधायक बनकर जिले की राजनीति में अपने युग का शुभारंभ किया। उनके बढ़ते वर्चस्व के कारण, हरनौत विधानसभा क्षेत्र भले ही बाढ़ लोकसभा का हिस्सा रहा हो, लेकिन पूरे नालंदा जिले की राजनीति पर उनका दबदबा बन गया। जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार अलग हुए, तो इसका प्रभाव हरनौत पर भी पड़ा, क्योंकि हरिनारायण सिंह लालू खेमे (जनता दल) में रह गए और 1995 में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन, उन्होंने पाला बदला और वर्ष 2000 में समता पार्टी (नीतीश खेमा) से जीत दर्ज की।
लगातार जीत का रिकॉर्ड
वर्ष 2000 में समता पार्टी से जीत दर्ज करने के बाद, हरिनारायण सिंह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2005 (फरवरी), 2005 (अक्टूबर), 2010, 2015 और 2020 में लगातार जदयू के टिकट पर जीतते आ रहे हैं। 2010 के नए परिसीमन के बाद चंडी विधानसभा क्षेत्र खत्म हो गया और हरनौत सीट मुख्यमंत्री के गढ़ के रूप में पूरी तरह स्थापित हो गई। 2020 के चुनाव में उन्होंने लोजपा की ममता कुमारी को हराया था, और इस बार वह कांग्रेस के अरुण कुमार से जोरदार चुनौती का सामना कर रहे हैं। हरिनारायण सिंह की निरंतरता और मुख्यमंत्री का भावनात्मक जुड़ाव इस सीट को बिहार की सबसे दिलचस्प चुनावी लड़ाई में से एक बनाते हैं।