Bihar Health News: बिहार में जर्जर डिब्बों से बनेगा रेलवे का मिनी अस्पताल , दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा, काम हो गया शुरु, राजनीति की पटरी पर स्वास्थ्य की सियासत

Bihar Health News: रेलवे बोर्ड ने साफ निर्देश दिया है कि अनुपयोगी हो चुके डिब्बों को मिनी अस्पताल के रूप में विकसित किया जाए, जहां ओपीडी और इमरजेंसी की सहूलियत मुहैया होगी।

Health Politics on Track Railways to Build Mini Hospital Coa
बिहार में जर्जर डिब्बों से बनेगा रेलवे का मिनी अस्पताल- फोटो : social Media

Bihar Health News: रेलवे की पटरियों पर अब सियासत के साथ-साथ सेहत की राजनीति भी रफ्तार पकड़ने जा रही है। पुराने और जर्जर रेल डिब्बों को अस्पताल में तब्दील करने का फैसला महज़ एक प्रशासनिक योजना नहीं, बल्कि उस राजनीतिक सोच का ऐलान है जिसमें विकास और कल्याण को आम रेलकर्मी और रिटायर कर्मचारियों तक पहुंचाने की कोशिश दिखाई देती है। रेलवे बोर्ड ने साफ निर्देश दिया है कि अनुपयोगी हो चुके डिब्बों को मिनी अस्पताल के रूप में विकसित किया जाए, जहां ओपीडी और इमरजेंसी की सहूलियत मुहैया होगी।

यह अस्पताल दो बड़े स्टेशनों के बीच उन छोटे-छोटे स्टेशनों पर स्थापित किए जाएंगे, जो अब तक स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम रहे हैं। पूमरे (पूर्व मध्य रेलवे) समेत अन्य जोन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। शुरुआती चरण में पांच-पांच डिब्बों को अस्पताल में बदला जाएगा। सियासी गलियारों में इसे “कम लागत, बड़ा असर” वाला मॉडल बताया जा रहा है, जिससे सरकार की सामाजिक प्रतिबद्धता का पैग़ाम जाएगा।

कोरोना काल की यादें अभी धुंधली नहीं हुई हैं। उस दौर में रेलवे ने अपने कर्मचारियों के लिए ट्रेन के डिब्बों में ही अस्पताल बनाकर एक नया प्रयोग किया था, जो कामयाब रहा। अब उसी तजुर्बे को आगे बढ़ाने की रणनीति तैयार है। बोर्ड की ओर से जारी खत में कहा गया है कि इन डिब्बा अस्पतालों को दूरदराज स्टेशनों पर खड़ा किया जाएगा, जहां नजदीकी अस्पताल मीलों दूर हैं। किसी कर्मचारी या यात्री के बीमार पड़ने या हादसे का शिकार होने पर फौरन प्राथमिक उपचार मिल सकेगा।

अगर ज़मीनी हकीकत देखें तो समस्तीपुर और सोनपुर में ही रेलवे के दो रेफरल अस्पताल हैं। इनके बीच करीब 106 किलोमीटर के लंबे फासले में सिर्फ हाजीपुर में एक पॉलिक्लिनिक और मुजफ्फरपुर में हेल्थ सेंटर है, जबकि इस रूट पर 16 जंक्शन और स्टेशन मौजूद हैं। मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी के बीच सात और मुजफ्फरपुर-बापूधाम मोतिहारी के बीच दस छोटे-बड़े स्टेशन हैं। इन इलाकों में पांच हजार से ज्यादा सेवारत और दस हजार से ज्यादा रिटायर रेलकर्मी रहते हैं, जिन्हें इस फैसले से सीधा फायदा मिलेगा।

गर्मी से बचाव के लिए डिब्बों की छत को कवर किया जाएगा। हीट रिफ्लेक्टिंग पेंट, बांस की चिक और बबल रैप्स जैसे विकल्पों पर रेलवे काम कर रहा है। कुल मिलाकर यह पहल न सिर्फ स्वास्थ्य सेवा का विस्तार है, बल्कि उस राजनीतिक संदेश का हिस्सा भी है, जिसमें सरकार यह जताना चाहती है कि वह आखिरी स्टेशन तक जिम्मेदारी निभाने को तैयार है।