Bihar Land Survey: बिहार के इन 250 गांव के साथ साजिश,खतियान किसने किया गायब?अब कैसे होगा सर्वे और दाखिल खारिज
Bihar Land Survey:बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। इसी बीच सूबे के करीब 250 गांवों का महत्वपूर्ण केडेस्ट्रल खतियान गायब हो गया है।

Bihar Land Survey: बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के बाद खतियान के गायब होने की समस्या उजागर हुई है। 250 गांव के खतियानों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस संदर्भ में अधिकारियों को चेतावनी दी है ।वहीं मुजफ्फरपुर जिले के 40 गांवों और पूरे बिहार राज्य के लगभग 250 गांवों का केडेस्ट्रल खतियान गायब होने की खबरें सामने आई हैं। मुजफ्फरपुर जैसे बड़े जिले में 40 गांवों का खतियान नदारद होना स्थानीय निवासियों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। मुजफ्फरपुर जिले में तो शहर के सरैयागंज, सिकंदरपुर, शहबाजपुर, कन्हौली विशुनदत्त, बाड़ा जगनाथ समेत शहरी क्षेत्र के मुशहरी अंचल के ही सर्वाधिक 15 गांवों के केडेस्ट्रल शतियान गायब हैं। जबकि, अन्य 25 गांव भी बोचहां, कोटी, कुढ़नी, सकरा, सरैया, औराई, मौनापुर, मोतीपुर, पारू, साहेबगंज अंचलों के हैं जो शहरी क्षेत्र या शहर से सटे इलाकों में ही हैं के खतियान नहीं मिल रहे हैं।
बता दें कि राज्य का राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जमीन के खतियानों का डिजिटलाइजेशन कर उन्हें ऑनलाइन कर रहा है। इसके लिए राज्य के सभी जिलों के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध जमीन के सभी दस्तावेजों की स्कैनिंग की जा रही है। लेकिन, केडेस्ट्रल खतियान गायब होने से स्कैनिंग रुक गई है। यानी, दस्तावेजों को ऑनलाइन करने का काम रुका हुआ है।
पूरे बिहार में 250 गांवों का रिकॉर्ड गायब हो गया है। बता दें दस्तावेजों की स्कैनिंग कर रही एजेंसी एमएस कैपिटल बिजनस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने इसकी सूचना दी तो राजस्व विभाग की भी नींद हराम हो गई है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी संबंधित जिलाधिकारियों से दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा है। मुजफ्फरपुर के डीएम सुबत सेन से जिले के 11 अंचलों के 40 मौजा-गांवों का अभिलेख मांगा गया है। एजेंसी ने जो विभाग को जो सूचना दी है उसके अनुसार राजस्व कर्मियों व रिकॉर्ड रूम के कर्मचारियों द्वारा जमीन के मूल कागजात में छेड़छाड़ की गई है। साथ ही रखरखाव नहीं होने से भी कई खतियान नष्ट या गायब हो गए हैं। इस कारण जहां भूधारी परेशान हैं, वहीं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की परेशानी भी बढ़ गई है।
खतियान भूमि रिकॉर्ड का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जिसमें किसी क्षेत्र की जमीन का विवरण, मालिकाना हक, सीमाएं और अन्य संबंधित जानकारी दर्ज होती है। यह दस्तावेज़ भूमि विवादों को सुलझाने और सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। वहीं केडेस्ट्रल खतियान विशेष रूप से जमीन की माप, सीमांकन और स्वामित्व की जानकारी प्रदान करता है। यह दस्तावेज़ ऐतिहासिक रूप से भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान तैयार किए गए थे और आज भी भूमि प्रबंधन प्रणाली का आधार हैं।
जब जमीन के स्वामित्व का प्रमाण ही उपलब्ध नहीं होगा, तो विवाद बढ़ सकते हैं। वहीं भूमि सुधार योजनाओं, मुआवजा वितरण, और विकास परियोजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।किसानों को उनकी जमीन पर अधिकार साबित करने में कठिनाई होगी।