मुजफ्फरपुर रेप मामले पर हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय की बड़ी कार्रवाई! PMCH के प्रभारी उपाधीक्षक को हटाया, समेत अन्य अधिकारियों को दिखाया बाहर का रास्ता, जानें क्यों किया ऐसा
Bihar News: मुजफ्फरपुर में 9 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म, हमले और इलाज में लापरवाही से मौत पर SKMCH अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने उच्चस्तरीय जांच टीम गठित कर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है।

Bihar News: मुजफ्फरपुर जिले के एक गांव में 26 मई, 2025 को एक 9 वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म और चाकू से हमला की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। इस बच्ची को पहले मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (SKMCH) और फिर गंभीर हालत में पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) रेफर किया गया।लेकिन दुर्भाग्यवश, इलाज में लापरवाही, रेफरल नीति का उल्लंघन, और प्रशासनिक उदासीनता के चलते 2 जून को बच्ची की मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग की कड़ी कार्रवाई: SKMCH अधीक्षक निलंबित
घटना के त्वरित संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने SKMCH की अधीक्षक डॉ. कुमारी विभा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया।अधिसूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि उन्होंने रेफरल नीति और कर्तव्यों का उल्लंघन किया। पीड़िता के इलाज में "घोर संवेदनहीनता" बरती गई, जिससे विभाग अगले आदेश तक निलंबन को अनिवार्य मानता है। यह पहली बार नहीं है जब SKMCH लापरवाही के आरोपों में घिरा है, लेकिन यह मामला प्रशासनिक सख्ती का नया उदाहरण बन गया है।
पीएमसीएच की प्रशासनिक चूक: प्रभारी उपाधीक्षक पद से हटाए गए
पीएमसीएच में अधीक्षक के तौर पर प्रभारी उपाधीक्षक को भी तत्काल प्रभाव से पद से मुक्त किया गया है। विभाग के अनुसार उन्होंने प्रशासनिक और चिकित्सीय जिम्मेदारियों का सही निर्वहन नहीं किया। मृतक बच्ची के इलाज में देरी और समन्वय की कमी उनके कार्यकाल में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई। यह स्पष्ट करता है कि बिहार सरकार अब केवल निचले स्तर पर नहीं, बल्कि वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर भी जवाबदेही तय कर रही है।
जांच का नया दायरा: उच्चस्तरीय टीम गठित
स्वास्थ्य मंत्री ने तीन डायरेक्टर इन चीफ—डॉ. आरएन चौधरी, डॉ. वीके सिंह और डॉ. प्रमोद कुमार—के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम गठित की है। इनका काम PMCH और SKMCH जाकर घटना से जुड़े हर पहलू की जांच करना है। पीड़िता के इलाज की प्रक्रिया, रेफरल, डॉक्यूमेंटेशन और चिकित्सा निर्णय की समीक्षा करना है। रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य विभाग को सीधे सौंपना है। जांच रिपोर्ट के आधार पर फिर से आरोपपत्र गठित कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
15 दिन में स्पीडी ट्रायल का वादा: स्वास्थ्य मंत्री का व्यक्तिगत बयान
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने घटना पर व्यक्तिगत पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि मैं इस अमानवीय घटना से बेहद आहत हूं। बच्ची को न्याय दिलाने के लिए हम 15 दिन के भीतर स्पीडी ट्रायल की प्रक्रिया शुरू कर, आरोपियों को सजा दिलाएंगे। इलाज में चूक करने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।