नितिन नवीन की ताजपोशी के मायने, बिहार से बंगाल तक बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक, पढ़िए क्या है भाजपा की सियासी शतरंज की नई चाल

BJP National Working President:राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही है-आखिर नितिन नवीन ही क्यों?

Nitin Naveen s Rise BJP s Masterstroke
नितिन नवीन की ताजपोशी के मायने- फोटो : Hiresh Kumar

BJP National Working President: भारतीय जनता पार्टी ने संगठन की बिसात पर एक अहम मोहरा चल दिया है। बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री और पांच बार के विधायक नितिन नवीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने साफ कर दिया है कि 2029 से पहले संगठन को नई धार और नई दिशा देने का इरादा पुख्ता है। यह फैसला केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि सियासी रणनीति, सामाजिक संतुलन और चुनावी गणित का मिला-जुला नुस्खा है।

राजनीतिक गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही है आखिर नितिन नबीन ही क्यों? इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की उस भाषा में छुपा है, जो बधाई संदेशों से कहीं आगे जाकर संकेत देती है। “कर्मठ”, “परिश्रमी”, “निष्ठावान”, “विनम्र”, “ऊर्जावान” जैसे अल्फ़ाज़ महज तारीफ नहीं, बल्कि भरोसे की मुहर हैं। ये शब्द बताते हैं कि बीजेपी को एक ऐसा चेहरा चाहिए था, जो संगठन की नब्ज समझे, ज़मीन से जुड़ा हो और दिन-रात मेहनत करने का हौसला रखता हो।

वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन शर्मा के मुताबिक, इस नियुक्ति का एक सिरा पश्चिम बंगाल से भी जुड़ता है। बंगाल की सियासत में दशकों तक कायस्थ समुदाय का असर रहा है—ज्योति बसु से लेकर विधानचंद्र राय तक। ‘भद्रलोक’ कही जाने वाली बौद्धिक जमात का बड़ा हिस्सा इसी समाज से ताल्लुक रखता है। बोस, घोष, दत्ता, मित्रा जैसे उपनामों वाला यह वर्ग आज भी बंगाल की राजनीति और सोच पर असर डालता है। नितिन नबीन का इसी कायस्थ वर्ग से आना बीजेपी के लिए एक सियासी दांव है, खासकर 2026 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए।

नितिन नवीन की उम्र महज 45 साल है, लेकिन तजुर्बा लंबा। 2006 से बांकीपुर सीट पर लगातार जीत, हर बार 50 हजार से ज्यादा वोटों का फासला, और बतौर पथ निर्माण मंत्री हज़ारों किलोमीटर सड़कों का निर्माण ये आंकड़े नहीं, उनकी सियासी साख हैं। युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव, बिहार अध्यक्ष, सिक्किम और छत्तीसगढ़ प्रभारी के तौर पर उनकी भूमिका ने उन्हें संगठन का भरोसेमंद सिपहसालार बनाया। 2023 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत में उनका योगदान पार्टी नेतृत्व को अच्छी तरह याद है।

बीजेपी के भीतर माना जाता है कि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद नेतृत्व की प्रयोगशाला होता है। अमित शाह और जेपी नड्डा इसका उदाहरण हैं। ऐसे में नितिन नबीन की ताजपोशी यह साफ पैग़ाम देती है कि पार्टी अब अनुभव और जवानी के संतुलन पर खेल रही है। मोदी-शाह की सियासी ज़बान में संदेश साफ है जो ज़मीन से जुड़ा है, जो संगठन में पसीना बहाता है और जो चुनाव जिता सकता है, वही आगे बढ़ेगा। वहीं बकौल प्रियदर्शन नितिन नवीन को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना कर भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव जीतने की बड़ी चाल चल दी है। नितिन नवीन की यह नियुक्ति न केवल बिहार की जातिगत राजनीति को साधने का प्रयास है, बल्कि इसके तार अगले साल (2026) होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से भी सीधे जुड़े हैं।