Bihar Budget: नीतीश सरकार नहीं खर्च कर पाती है बजट की पूरी राशि, कैग रिपोर्ट में 65 हजार करोड़ पर बड़ा खुलासा
कैग की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं कि नीतीश सरकार कुल बजट का करीब 21 फीसदी खर्च करने में विफल रही है.

Bihar Budget: नीतीश सरकार में भले ही हर वर्ष बजट का आकार बढ़ता जा रहा हो लेकिन बजट प्रावधानों से जुडी कुल राशि को खर्च करने में राज्य सरकार विफल रही है. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की बिहार विधानसभा में पेश हुई रिपोर्ट में इसे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. कैग की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं कि नीतीश सरकार कुल बजट का करीब 21 फीसदी खर्च करने में विफल रही है. इस तरह बजट में भले ही बड़ी बड़ी घोषणाएं की गई हों लेकिन कुल बजट को खर्च करने में राज्य सरकार विफल रही है.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य का कुल बजट 3 लाख 26 हजार 230.12 करोड़ रुपए रहा. लेकिन इसके मुकाबले राज्य में मात्र 2 लाख 60 हजार 718.07 करोड़ ही खर्च हुए. इस तरह कुल बजट का 79.92 फीसदी ही खर्च हुआ. यह मूल बजट से करीब 21 फीसदी कम है. कैग ने कहा कि राज्य का वित्त वर्ष 2023-24 का वास्तविक बजट सिर्फ 2.60 लाख करोड़ ही रहा जबकि बिहार विधानमंडल में 3.26 लाख करोड़ का बजट पेश किया गया था. इतना ही नहीं "राज्य ने अपनी कुल बचत 65,512.05 करोड़ रुपये में से केवल 23,875.55 करोड़ रुपये (36.44 प्रतिशत) ही समर्पित किए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, राज्य की देनदारियों में पिछले वर्ष की तुलना में 12.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
70 हजार करोड़ का नहीं मिला हिसाब
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 70,877 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने में विफल रहने के लिए बिहार सरकार की खिंचाई की है। वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के वित्त पर कैग की रिपोर्ट राज्य विधानसभा में पेश की तो इसका खुलासा हुआ। इसमें कहा गया है, "निर्धारित समय सीमा के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की आवश्यकता के बावजूद, 31 मार्च, 2024 तक बिहार के महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) को 70,877.61 करोड़ रुपये के 49,649 बकाया उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुए।"
गबन, दुरुपयोग और धन के दुरुपयोग का खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपयोगिता प्रमाण पत्रों के अभाव में, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वितरित धनराशि का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया है। इसके अलावा, उपयोगिता प्रमाण पत्रों के लंबित रहने से गबन, दुरुपयोग और धन के दुरुपयोग का खतरा बना रहता है। कुल 70,877.61 करोड़ रुपये में से 14,452.38 करोड़ रुपये 2016-17 तक की अवधि के थे। वही शेष राशियों अगले वित्त वर्षों के हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज़्यादा भुगतान न करने वाले पाँच विभाग पंचायती राज (28,154.10 करोड़ रुपये), शिक्षा (12,623.67 करोड़ रुपये), शहरी विकास (11,065.50 करोड़ रुपये), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़ रुपये) और कृषि (2,107.63 करोड़ रुपये) हैं।