Veer Kunwar Singh Vijayotsav: वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व से युवा पीढ़ी को अवगत करा रही नीतीश सरकार: - मुरली मनोहर श्रीवास्तव

Veer Kunwar Singh Vijayotsav: वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. हालाँकि बिहार की नीतीश सरकार ने उनके सम्मान में कई कदम उठाये हैं....पढ़िए आगे

Veer Kunwar Singh Vijayotsav: वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व औ
बाबू साहेब को सम्मान - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : आज प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक बाबू वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव मनाया जा रहा है। दरअसल 1857 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रण बांकुरे बाबू वीर कुंवर सिंह के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। बिहार के जगदीशपुर रियासत के इस 80 वर्षीय योद्धा ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। 9 माह में 15 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त किया। 1857 की आजादी की पहली लड़ाई के नायकों में बाबू वीर कुंवर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बिहार के भोजपुर (आरा) जिले के जगदीशपुर रियासत के राजा रण बांकुरे बाबू वीर कुंवर सिंह जंग लड़ने की तैयारी में जुटे हुए थे और उनके साथ  धरमन बीबी कदमताल करने को तैयार थीं। उसी दरम्यान 27 अप्रैल, 1857 को दानापुर के सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। यहां से ललकारते हुए आरा पहुंचे फिर जगदीशपुर के लिए कूच कर गए। जगदीशपुर पहुंचकर इन विद्रोही सिपाहियों ने बाबू वीर कुंवर सिंह का नेतृत्व स्वीकार किया और निकल पड़े देश के विभिन्न हिस्सों में अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए। बाबू वीर कुंवर सिंह ने अनेक समूहों के बीच समन्वय स्थापित कर आजादी की पहली लड़ाई लड़ी एवं इसमें महती भूमिका निभायी। 

बाबू वीर कुंवर सिंह की शौर्यगाथा तथा बलिदान से अवगत कराने एवं प्रेरित करने के लिए नीतीश सरकार द्वारा बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति में अनेक कार्य किए गए हैं। जिनमें बाबू वीर कुंवर सिंह की जन्मस्थली जगदीशपुर स्थित किला मैदान के संरक्षण एवं इसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के निमित कई कार्य किए गए हैं। जगदीशपुर किले को संग्रहालय के रुप में विकसित किया गया है, जहां दूर-दूर से देखने के लिए लोग आते हैं। बिहार प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अवशेष तथा कलानिधि अधिनियम,1976 के अंतर्गत बिहार सरकार द्वारा उनकी  जन्मस्थली को सुरक्षित स्मारक घोषित किया गया। स्मारक परिसर में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उनके किए गए योगदान को टेराकोटा म्यूरल के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। बाबू साहब के देशहित में किए गए कार्यों को देखते हुए वर्ष 2015 में डुमरांव में बने कृषि कॉलेज का नामकरण भी वीर कुंवर सिंह कृषि महाविद्यालय किया गया है। आरा-छपरा के बीच गंगा नदी पर बने पुल का नामकरण बाबू वीर कुंवर सिंह सेतु का उद्घाटन 11 जून, 2017 को किया गया। 23अप्रैल,2018 को हार्डिंग पार्क का नाम बदलकर शहीद वीर कुंवर सिंह आजादी पार्क किया गया तथा टेराकोटा म्यूरल के माध्यम से उनके योगदान को इस पार्क में दर्शाया गया है। 

भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के शिवपुर घाट पर वीर कुंवर सिंह के सम्मान में स्मारक का निर्माण कराया गया है। यह वही स्थल है जहां लड़ाई के क्रम में बाबू वीर कुंवर सिंह ने अपने रक्तरंजित बांह को काटकर गंगा में प्रवाहित कर दिया था। बाबू वीर कुंवर सिंह की वीरगाथा एवं स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कक्षा 7 एवं 8 के पाठ्यक्रम में शामिल कर विद्यार्थियों को पढ़ाई जाती है। आरा में बाबू साहब के नाम पर ही बाबू वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय का नामकरण किया गया है। बिहार-उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली गंगा नदी पर बने बक्सर-भरौली पुल का भी  नामकरण वीर कुंवर सिंह पुल किया गया है। इसके अलावे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव को राजकीय समारोह के रुप में मनाया जाता है। वीर कुंवर सिंह ने जाति-धर्म, ऊंच-नीच की भावना से परे होकर समाज के लिए काम किया। प्रारंभ से ही बिहार गंगा-जमनी तहजीब की मिसाल पेश करता रहा है।

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